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केरल: सबरीमाला पर संघर्ष के हालात, महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेगी सरकार

केरल सरकार ने मंगलवार को भरोसा दिया कि वह सबरीमाला जाने वाली 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय करेगी। सरकार का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस उम्र की महिलाओं को...

केरल: सबरीमाला पर संघर्ष के हालात, महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेगी सरकार
तिरुवनंतपुरम | एजेंसियांWed, 17 Oct 2018 07:06 AM
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केरल सरकार ने मंगलवार को भरोसा दिया कि वह सबरीमाला जाने वाली 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय करेगी। सरकार का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के विरोध में हो रहे आंदोलन के बीच आया है। केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन ने कहा, राज्य सरकार अदालत के फैसले का पूरा सम्मान करेगी। वह सभी इच्छुक महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन सुनिश्चित करेगी। मंदिर परिसर में उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। 

विजयन ने कहा, हम किसी को भी कानून व्यवस्था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी श्रद्धालु मंदिर में जाकर दर्शन कर सकें।  पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं होगी। केरल के मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगी। बता दें कि कई संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं और इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की है। 

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भाजपा ने दिया अल्टीमेटम 
भाजपा की केरल इकाई ने मंदिर की परंपरा को कायम रखने की मांग की है। साथ ही सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि मुख्यमंत्री नास्तिक हैं, वह कुछ नहीं जानते हैं। ऐसे में हमारे धर्म और विश्वास पर वह कैसे फैसला कर सकते हैं। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि अगर बुधवार को कुछ अनहोनी होती है, तो इसके लिए केरल सरकार जिम्मेदार होगी। 

टीडीबी-शाही परिवार की वार्ता विफल 
मामले का हल निकालने के लिए मंदिर का प्रबंधक त्रावणकोर देवास्म बोर्ड (टीडीबी)और मंदिर के संरक्षक पंडालम शाही परिवार की मंगलवार को बैठक हुई। लेकिन यह बेनतीजा रही। पंडालम शाही महल में प्रबंधक समिति के अध्यक्ष शशिकुमार वर्मा ने कहा, शाही परिवार ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेन की मांग की। लेकिन बोर्ड इसपर सहमत नहीं है। इसलिए शाही परिवार के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया। हालांकि, दोनों पक्ष एक बार फिर शुक्रवार को बैठक करने पर सहमत हुए हैं।

सांसद ने अध्यादेश की मांग की 
पत्थनथिट्टा से लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता एंटो एंथनी ने इस मामले में केंद्र से अध्यादेश लाकर इस मामले को सुलझाने की मांग की। बता दें कि इसी जिले में मंदिर स्थित है। उन्होंने कांग्रेस की महिला इकाई की ओर से आयोजित धरना प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (एम) ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया। एंथनी ने कहा,बुधवार को मासिक पूजा के मंदिर खुलेगा, जिसमें सभी धर्मों की आस्था है। लेकिन मौजूदा विवाद की वजह से हम चिंतित हैं। कोर्ट के आदेश का अयप्पा भक्तों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी कर रहे हैं। 

महिला ने खुदकुशी की कोशिश की 
सबरीमाला पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बड़ी संख्या में केरल की महिलाएं विरोध कर रही हैं और उन्होंने जगह-जगह विरोध मार्च निकाला है। इसी कड़ी में मंगलवार को एक महिला ने सार्वजनिक रूप से फांसी लगाने की कोशिश की। हालांकि, वहां खड़े लोगों ने उसे रोक दिया। बता दें कि कोर्ट के आदेश का विरोध कर रही शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने भी घोषणा की है कि अगर बुधवार को प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाएं मंदिर में प्रवेश की कोशिश करेंगी, तो वे सामूहिक रूप से आत्महत्या करेंगी। 

स्थानीय जनजातियां भी फैसले के खिलाफ 
सबरीमाला पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्थानीय जनजातियां भी विरोध कर रही है। पूजा की परंपरा में हक रखने वाली माला आर्यन जनजाति ने कहा कि फैसला परंपरा के खिलाफ है। समुदाय के लोग सबरीमाला की 18 पहाड़ियों में प्रवेश के रोकने के लिए निगरानी कर रहे हैं। वहीं अन्य जनजाति के नेता परशुराम थन्निकल फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन सत्याग्रह कर रहे हैं। समुदाय की महिलाओं को प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को रोकते हुए देखा गया है। 

श्रीलंका में भी फैसले का विरोध 
श्रीलंका में मौजूद भगवान अयप्पा के भक्तों ने भी सबरीमाला मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है। श्रीलंका के ववुनिया जिले में सैकड़ों की संख्या में महिला भक्तों ने मंगलवार को तीन किलोमीटर मार्च निकला और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इसमें भारतीय उच्चायोग के माध्यम से मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई। बता दें कि हर साल सैकड़ों की संख्या में सबरीमाला मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। 

कई महिलाएं दर्शन को इच्छुक 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई महिलाएं सबरीमाला दर्शन को पहुंची है। इनमें कन्नूर की रहने वाली 32 वर्षीय रेशमा निशांत भी हैं। रेशमा ने दावा किया कि वह भगवान अयप्पा की भक्त है और 41 दिनों के व्रत के बाद मंदिर दर्शन करने आई हैं। उन्होंने कहा,बड़ी संख्या में महिलाओं ने मेरा समर्थन किया है। लेकिन कई ने आपत्ति भी जताई। ऐसी ही महिलाओं में कोझिकोड की बिंदु हैं, जिनके  मुताबिक वह 30 महिलाओं के साथ सबरीमाला मंदिर जाएंगी। वहीं समम नामक संगठन ने भी महिलाओं को प्रवेश देने के समर्थन में शांतिपूर्ण मार्च निकाला। 

सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका विचाराधीन 
इस फैसले के खिलाफ पहले ही कई संगठनों ने अदालत का रुख किया है। इनमें नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन प्रमुख हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इसपर त्वरित सुनवाई से इनकार कर दिया है। ऑल केरल ब्राह्मण एसोसिएशन ने भी फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। 

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