असम में विपक्षी दलों सहित कई संगठनों ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करते हुए राज्य में व्यापक विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसे राजनीतिक दलों के अलावा, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू), असम जटियाटाबादी युवा-छात्र परिषद (एजेवाईसीपी), कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और प्रमुख साहित्यिक संस्था असम साहित्य सभा (एएसएस) जैसे संगठनों ने कहा है कि वे विधेयक को वापस लिए जाने तक आंदोलन करेंगे।
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इस विधेयक में धार्मिक अत्याचार के कारण बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों एवं ईसाइयों को उपयुक्त दस्तावेज नहीं रहने पर भी भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नागरिकता अधिनियम,1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों के भय है कि इन लोगों के आने से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा हो सकता है। इसबीच मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने उम्मीद जाहिर की कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक से जुड़ी पूर्वोत्तर के लोगों की सभी चिंताओं का केंद्र सरकार समाधान करेगी।
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संगमा ने कहा कि वह कम से कम चार अवसरों पर गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर उन्हें मूल निवासियों की चिंता के बारे में बता चुके हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट द्वारा मंजूर विधेयक के प्रावधानों को अभी देखना बाकी है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इसमें पूर्वोत्तर और खासतौर से मेघालय के लोगों की चिंताओं का ध्यान रखा गया होगा।
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