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लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए राज्यों की तैयारी शुरू, मरीजों के ठीक होने की दर 25 प्रतिशत से अधिक

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले एक महीने से ज्यादा समय से लागू लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए राज्यों ने...

लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए राज्यों की तैयारी शुरू, मरीजों के ठीक होने की दर 25 प्रतिशत से अधिक
एजेंसी,नई दिल्ली।Fri, 01 May 2020 05:09 AM
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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले एक महीने से ज्यादा समय से लागू लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए राज्यों ने गुरुवार को तैयारी शुरू कर दी। उधर, देश में संक्रमण के 33,600 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और मृतकों की संख्या 1100 के करीब पहुंच गई है। 

हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर भी एक पखवाड़ा पहले के करीब 13 प्रतिशत से बेहतर होकर तकरीबन 25.2 प्रतिशत हो गई है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का दूसरा चरण रविवार को खत्म हो रहा है ऐसे में लोग आगे इस पर और स्पष्टता के लिए सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और जानेमाने अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां जल्द खोलने की पैरवी करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने के साथ ही लोगों की जीविका की सुरक्षा करनी होगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किए गए संवाद के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि देश के गरीबों, मजदूरों और किसानों की प्रत्यक्ष अंतरण के माध्यम से वित्तीय मदद करनी होगी जिसमें 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

राहुल गांधी के एक प्रश्न के जवाब में राजन ने कहा कि सामाजिक सौहार्द में लोगों की भलाई है और इस चुनौतीपूर्ण समय में हम विभाजित रहने का जोखिम नहीं उठा सकते। देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। पहले 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसके बाद इसे 3 मई के लिए बढ़ा दिया गया।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शाम के अपडेट में कहा कि बुधवार शाम से 67 लोगों की मौत के मामले सामने आने के साथ मृतकों की संख्या 1075 हो गई है। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 1823 मामले सामने आने के साथ संक्रमित लोगों की संख्या 33610 हो गई है। 

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हालांकि, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिली खबरों के आधार पर शाम पौने 7 बजे पीटीआई-भाषा की तालिका के मुताबिक कम से कम 1093 लोगों की मौत हुई है। देश में वर्तमान में संक्रमण के 24,000 (जिनका इलाज चल रहा है) से ज्यादा मामले हैं जबकि 8300 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने में भारत दूसरे देशों की तुलना में सभी मानकों पर अच्छा कर रहा है और आगामी कुछ हफ्ते में इस निर्णायक जंग में कामयाबी मिलने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक 72 देशों के करीब 60,000 विदेशी नागरिक भारत से भेज दिए गए हैं और विदेशों में फंसे भारतीय लोगों को लाने के मुद्दे पर भी विचार हो रहा है । 

तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में संक्रमण के नए मामले आए। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में संक्रमण से कुछ और लोगों की मौत हुई है। कोविड-19 की स्थिति पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से मौजूदा मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है । मृतकों में 65 प्रतिशत पुरुष और 35 फीसद महिलाएं हैं।

अधिकारी ने कहा, ''अगर हम आयु के आधार पर संख्या को विभाजित करें तो मौत के 14 प्रतिशत मामले 45 साल की आयु से कम के हैं, 34.8 प्रतिशत मामले 45-60 साल की आयुवर्ग के रोगियों के हैं और 51.2 प्रतिशत मृत्यु के मामले 60 साल से अधिक आयु के लोगों के हैं।'' अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर पिछले 14 दिनों में 13.06 प्रतिशत से बेहतर होकर 25 प्रतिशत हो गई है । 

उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 के मामले दुगने होने की दर 11 दिन हो गई है जो लॉकडाउन शुरू होने से पहले 3.4 दिन थी।इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी दिशा-निर्देश के बाद लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर तक पहुंचाने के संबंध में कई राज्यों ने कदम उठाने की घोषणा की है। कुछ राज्य दूसरे स्थानों से कुछ प्रवासी मजदूरों को ला भी चुके हैं। 

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मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे 2,000 से ज्यादा मजदूरों को लाया गया है। देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए तैयारी के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से क्वारंटाइन सेंटर, शेल्टर होम और सामुदायिक रसोई तैयार करने को कहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर राज्य के भीतर फंसे हुए लोगों के आवागमन के लिए सभी जिलाधीश को नोडल प्राधिकार नियुक्त किया है। नोडल प्राधिकार अपने-अपने जिले में फंसे हुए लोगों के नाम दर्ज करेंगे और यह सूची जिलाधीश को सौंपी जाएगी। फंसे हुए लोगों के समूह को नोडल प्राधिकार द्वारा दिए गए पत्र की प्रति को साथ रखना होगा। 

गुजरात सरकार ने फंसे हुए लोगों के आवागमन के संबंध में 16 नौकरशाहों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। केरल सरकार ने भी अपने गृह राज्यों में लौटने के इच्छुक लोगों के लिए नॉन स्टॉप ट्रेनें चलाने की मांग की है। राज्य में 20,000 से ज्यादा शिविरों में 3.60 लाख कामगार हैं और इनमें से अधिकतर पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार और उत्तरप्रदेश के लोग हैं, जो अपने घर लौटना चाहते हैं। 

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे लॉकडाउन के कारण राज्य में फंसे प्रवासी मजदूरों का डेटा तैयार करें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मजदूरों के परिवहन के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने का आग्रह किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के तहत फंसे हुए लोगों के आवागमन के लिए बसों का इस्तेमाल होगा और इन वाहनों को संक्रमण मुक्त बनाना होगा। गाड़ियों में बैठने की व्यवस्था के समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कड़ाई से इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा । 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ किया कि सामान की आपूर्ति में लगे ट्रकों की अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए अलग से किसी पास की कोई आवश्यकता नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे ट्रक चालकों का लाइसेंस ही काफी है।

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