थानों में दर्ज पुलिस रिपोर्ट राष्ट्रीय राजमार्गो के ब्लैक स्पॉट ठीक करने में करेगी मदद
केंद्र सरकार ने राज्यों की पुलिस और जिलाधिकारियों की मदद से राष्ट्रीय राजमार्गों को सुरक्षित बनाने के लिए नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत थानों में दर्ज पुलिस रिपोर्ट के आधार पर...
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केंद्र सरकार ने राज्यों की पुलिस और जिलाधिकारियों की मदद से राष्ट्रीय राजमार्गों को सुरक्षित बनाने के लिए नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत थानों में दर्ज पुलिस रिपोर्ट के आधार पर सर्वाधिक दुर्घटना स्थलों (ब्लैक स्पॉट) को सड़क सुरक्षा उपाय लागू कर अविंलब ठीक किया जाएगा। इसके पूर्व ऐसे ब्लैक स्पॉट पर सड़क यात्रियों को अलर्ट करने के लिए चेतावनी के बोर्ड लगाए जाएंगे। वहीं गैर इंजीनियरिंग से होने वाले सड़क हादसों को रोकने की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों पर होगी।
इस बाबत सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 9 सितंबर को सभी राज्य सरकारों को नई व्यवस्था संबंधित पत्र जारी कर दिया है। इसमें उल्लेख है कि राज्य पुलिस राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाले सड़क हादसों का निरीक्षण कर खतरनाक दुर्घटना स्थल के रूप में पहचान करती है, जो कि बाद में ब्लैक स्पॉट बन सकते हैं। लेकिन उनको ब्लैक स्पॉट घोषित करने का अधिकार उसके पास नहीं है। नियमत: तीन साल के सड़क हादसों के रिकॉर्ड के आधार पर केंद्रीय एजेंसियां ब्लैक स्पॉट घोषित करती हैं और इसके बाद सड़क सुरक्षा के उपाय लागू किए जाते हैं। नई व्यवस्था में थानों की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित राष्ट्रीय राजमार्गों पर एडवांस में ब्लैक स्पॉट ठीक करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) थानों की पुलिस द्वारा रोड एक्सीटेंड रिकॉर्डिंग फार्म में दर्ज विवरण मिलने के तुरंत बाद रियल टाइम आधार पर सड़क सुरक्षा का ऑडिट कराएंगे और सड़क सुरक्षा के उपाय लागू किए जाएंगे। इसके लिए उक्त स्थल को ब्लैक स्पॉट घोषित होने का तीन साल इंतजार नहीं किया जाएगा। इसके पूर्व आरओ सड़क यात्रियों को अलर्ट करने के लिए खतरनाक दुर्घटना स्थल पर चेतावनी के बोर्ड लगाएंगे। इसके अलावा गैर इंजीनियरिंग (हाइवे डिजाइन में त्रुटि) के कारण होने वाले सड़क हादसों की रिपोर्ट संबंधित जिलाधिकारयों के पास भेजी जाएगी। इससे जिलाधिकारी हादसे रोकने के लिए जरूरी उपाय लागू कर सकें। इसमें जानवरों का सड़क पार करना, पेड़, पोल, अतिक्रमण, अवैध पार्किंग, भवन-ढांचा आदि से होने वाली सड़क दुर्घटनाएं शामिल हैं।
क्या है ब्लैक स्पॉट
किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर 500 मीटर के दायरे में तीन साल में पांच सड़क हादसों में मृत्यु-गंभीर घायल होने की घटना अथवा हादसों में 10 मौते होने पर उक्त स्थल को ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है। 3000 करोड की लागत से 789 से अधिक ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन राजमार्गो के विकास अथवा नए राजमार्ग बनने पर पुन: ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं।