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विश्वकर्मा सम्मान योजना से कैसे वोटबैंक भी साध रही मोदी सरकार, 2024 में मिलेगा फायदा?

बजट में घोषित पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की भी काफी चर्चा हो रही है। इस स्कीम के तहत शिल्पकारों एवं अलग-अलग तरह की चीजें तैयार करने वाले लोगों को सरकार की ओर से मदद की जाएगी।

विश्वकर्मा सम्मान योजना से कैसे वोटबैंक भी साध रही मोदी सरकार, 2024 में मिलेगा फायदा?
Surya Prakashलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 01 Feb 2023 04:23 PM

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पेश किए आम बजट में आयकर दाताओं को बड़ी राहत दी है। इसके तहत कुल 7 लाख रुपये तक की कमाई वाले लोगों को टैक्स नहीं देना होगा। लोअर मिडिल क्लास के लिए इसे बड़ी राहत माना जा रहा है। इसके अलावा बजट में पेश की गई पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की भी काफी चर्चा हो रही है। इस स्कीम के तहत शिल्पकारों एवं अलग-अलग तरह की चीजें तैयार करने वाले लोगों को सरकार की ओर से मदद की जाएगी। इसके स्कीम के तहत उन्हें ट्रेनिंग, फंडिंग दी जाएगी और तकनीकी सुविधाओं से भी लैस किया जाएगा। 

पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना को PM-VIKAS योजना भी कहा जा रहा है। सरकार का मानना है कि इस योजना के तहत इन लोगों को एमएसएमई सेक्टर का हिस्सा बनाया जाएगा। यह स्कीम एक बड़े वर्ग के कारोबारी हितों को तो साधेगा ही। इसके अलावा राजनीतिक तौर पर सरकार के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों में ही कई कामकाजी बिरादरियां हैं, जिन्हें इसके दायरे में आने का लाभ मिलेगा। लोहार, बढ़ई, कुम्हार, दर्जी जैसी कई ऐसी बिरादरियां हैं, जिन्हें विश्वकर्मा जातियों में गिना जाता है। सरकार को लगता है कि इस स्कीम से इन वर्गों को साधा जा सकेगा।

सरकारी डेटा के मुताबिक विश्वकर्मा समाज के तहत देश की कुल 140 जातियां आती हैं। इनमें विश्वकर्मा, साहू, सोनी आदि जातियां शामिल हैं। इसके अलावा अलग-अलग उपनामों की कई अन्य बिरादरियां भी इसका हिस्सा हैं। भाजपा सरकार को लगता है कि 2024 के आम चुनाव में मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों में पार्टी को इसका फायदा मिल सकता है। कामकाजी बिरादरियों का एक बड़ा वोट है। भले ही किसी एक जाति के एकमुश्त वोट नहीं हैं, लेकिन कई जातियों को मिलाकर यह वर्ग बनता है। इस तरह सभी के वोट को शामिल कर लिया जाए तो बड़ा आंकड़ा बनता है।

यूपी में इस फॉर्मूले का भाजपा को मिल चुका है फायदा

उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा 2017 और 2022 दोनों ही इस रणनीति पर काम करती रही है। गैर-यादव ओबीसी बिरादरियों का एक बड़ा हिस्सा इसी समाज से आता है। ऐसे में भाजपा को लगता है कि देश भऱ में यदि वह इस मॉडल पर काम करे तो ओबीसी समाज का एक बड़ा हिस्सा उसके साथ आ सकता है। 

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