सुप्रीम कोर्ट का फैसला: महिलाओं के लिए नहीं बंद हो सकते सबरीमाला के दरवाजे, जानें 10 बड़ी बातें
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली...
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है और यह परिपाटी हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ अपने फैसलों में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर के फैसले से सहमत हुए। न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने बहुमत से अलग अपना फैसला पढ़ा। पांच सदस्यीय पीठ ने चार अलग-अलग फैसले लिखे ।
आइये जानते है सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सबरीमाला मंदिर को लेकर कही गई 10 बड़ी बातें और प्रतिक्रियाएं-
1- महिला कार्यकर्ताओं ने केरल के सबरीमाला स्थित भगवान अय्यप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया, लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों द्वारा इसकी स्वीकार्यता पर चिंता जताई।
2-प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है और यह परिपाटी हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का हनन करती है।
3-महिला अधिकार कार्यकर्ता और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेन्स ऐसोसिएशन (एपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि यह फैसला काफी समय से लंबित था।
4-कृष्णन ने कहा कि फौरी तीन तलाक, हाजी अली और सबरीमला मामलों में न्यायालय ने सही कहा है कि महिलाओं की समानता को धार्मिक परिपाटी का बंधक नहीं बनाया जा सकता। जिस तरह से जाति के आधार पर मंदिरों में प्रवेश निषिद्ध करना असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है, लिंग के आधार पर भी प्रवेश निषिद्ध करना वैसा ही है।
5-ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन्स ऐसोसिएशन की महासचिव मरियम धावले का ने कहा है कि समानता की दिशा में यह एक और कदम है। उन्होंने कहा कि हम फैसले का स्वागत करते हैं। महिलाओं को मंदिर जाने का संवैधानिक अधिकार है। जो भी इच्छा रखता है, उसे किसी भी मंदिर या दरगाह में जाने की अनुमति होनी चाहिए।
6-नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की महासचिव ऐनी राजा ने कहा कि जैविक कारणों को लेकर महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकना बहुत गलत है। उन्होंने कहा कि किसी सामाजिक सुधार की स्वीकार्यता में समय लगता है। यह भी सामाजिक सुधार है जिसकी स्वीकार्यता में समय लगेगा।
7-राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह महिलाओं को चुनने का अधिकार देता है कि वह कहां जाना चाहती हैं। फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि देश ने इस फैसले के लिए लंबा इंतजार किया है।
8-वहीं, बेंगलुरु में कर्नाटक की महिला एवं बाल विकास मंत्री जयमाला ने शुक्रवार को आये इस फैसले को 'ऐतिहासिक बताया।
9-अभिनय से राजनीति में आयीं जयमाला ने संवाददाताओं से कहा कि उनके जीवन में इससे ज्यादा खुशी का पल नहीं हो सकता। ''मैं महिला समुदायों, उच्चतम न्यायालय और भगवान की शुक्रगुजार हूं... मैं संविधान लिखने वाले (डॉक्टर भीम राव) आंबेडकर को भी धन्यवाद देती हूं।
10- प्रधान न्यायाधीश ने कहा, मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव। सबरीमाला मंदिर की परंपरा हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ प्रधान न्यायाधीश के फैसले से इत्तेफाक रखते हैं, जबकि न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने उनसे अलग अपना फैसला लिखा है।
गौरतलब है कि जून 2006 में जयमाला ने यह खुलासा किया था कि 10-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को अय्यप्पा मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता है।
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