कौन कहता है हम बहुत छुट्टी लेते हैं? हमारी बहन ने तो 7 दिनों में ढूंढ़ निकाले 8 वजह, CJI के सामने क्यों बोले SC जज
Supreme Court News: CJI चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के सात अन्य जजों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है
मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 9 जजों की संविधान पीठ ने आज (गुरुवार को) 8:1 के बहुमत से फैसले में कहा कि संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि खनिजों पर देय ‘रॉयल्टी’ कर नहीं है। इस पीठ में CJI चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्ज्ल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के सात अन्य जजों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। बहुमत के फैसले में पीठ ने कहा कि वर्ष 1989 में सात जजों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया वह फैसला सही नहीं है, जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर ‘रॉयल्टी’ कर है।
CJI ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने सात जजों के फैसले से अलग असहमतिपूर्ण फैसला दिया है। जस्टिस नागरत्ना ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार नहीं है ।
इसके बाद वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस हृषिकेश रॉय ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा: बहन नागरत्ना ने अपना असहमतिपूर्ण फैसला सुनाते हुए उसमें 8 कारण गिनाए हैं। तब मुझे लगा कि यह 8:1 का फैसला है। दरअसल ऐसा करने के पीछे उनके पास वास्तविकता में 7 कारण थे, फिर उन्हें लगा कि एक और कारण हो सकता है। सप्ताह में 7 दिन होते हैं, उन्होंने उन 7 दिनों में 7 कारण खोज निकाले.. बहुत से लोग सोचते हैं कि हम जैसे जजों के पास बहुत सारी छुट्टियाँ होती हैं, लेकिन उन्होंने एक अतिरिक्त दिन काम किया और कुल 8 कारण निकाले हैं। बधाई!
बता दें कि संविधान पीठ इस विवादास्पद मुद्दे पर यह विचार कर रही थी कि क्या खनिजों पर देय ‘रॉयल्टी’ खान तथा खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत टैक्स है। क्या केवल केंद्र को ही ऐसा टैक्स वसूलने का अधिकार है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर वसूलने का अधिकार है।
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