ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशराजनीतिक जमीन खो चुकी पार्टियां, किसानों के कंधों पर रखकर चला रही हैं बंदूक: भाजपा किसान मोर्चा

राजनीतिक जमीन खो चुकी पार्टियां, किसानों के कंधों पर रखकर चला रही हैं बंदूक: भाजपा किसान मोर्चा

भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले तीन महीने से जारी किसानों के आंदोलन के पीछे एक बड़ा राजनीतिक षड़यंत्र होने का दावा करते हुए रविवार को आरोप लगाया कि...

राजनीतिक जमीन खो चुकी पार्टियां, किसानों के कंधों पर रखकर चला रही हैं बंदूक: भाजपा किसान मोर्चा
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Sun, 21 Feb 2021 07:46 PM
ऐप पर पढ़ें

भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले तीन महीने से जारी किसानों के आंदोलन के पीछे एक बड़ा राजनीतिक षड़यंत्र होने का दावा करते हुए रविवार को आरोप लगाया कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी पार्टियां अब किसानों के कंधे पर बंदूक रख उसे वापस पाने की जद्दोजहद कर रही हैं।

फतेहपुर सीकरी के सांसद चाहर ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में यह मानने से इंकार किया कि किसान आंदोलन के राजनीतिक नुकसान को लेकर भाजपा नेतृत्व के माथे पर चिंता की कोई शिकन है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि भाजपा की चिंता किसानों की आय दोगुनी करने कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने की है।

उन्होंने कहा, ''सरकार की नियत किसानों की आय बढ़ाना और उनके जीवन में सार्थक बदलाव लाना है जबकि विपक्षी दलों की नियत भ्रम और अफवाहें फैलाकर राजनीति करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का उन्हें अंदाजा है। उन्हें डर सता रहा है कि यदि देश भर के किसान उनके साथ आ गए तो विपक्ष का राजनीतिक अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।"

उन्होंने कहा, ''इसलिए मोदी जी को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। उनका एकमात्र लक्ष्य है मोदी को रोको नहीं, तो अगले 50 सालों तक सत्ता नहीं मिलने वाली हैं, मैं वास्तव में कहता हूं कि 50 सालों तक हमें कोई नहीं रोक सकेगा। हम सबकी चिंता करने वाले लोग हैं लेकिन विपक्ष को अपने परिवारों की चिंता है।

चाहर ने कहा कि इसलिए विपक्षी दल किसानों को जमीन का डर दिखाकर अपनी बची खुची राजनीतिक जमीन को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, महेंद्र सिंह टिकैत और सर छोटू राम के सपनों को पूरा करने में लगे हैं।

कृषि कानूनों को वापस लेने की किसान संगठनों की मांग पर भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार कैसे उन लोगों के कहने पर इन कानूनों को वापस ले सकती है जो केवल बिचौलियों की चिंता कर रहे हैं?

उन्होंने कहा, ''ये कानून किसानों के हित में हैं। आम किसान इन्हें लेकर थोड़े असमंजस की स्थिति में हैं, क्योंकि उन्हें इन कानूनों की पूरी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ''ऐसे किसानों का भ्रम दूर किया जा रहा है। भाजपा नेता किसानों के बीच जा रहे हैं और उन्हें इसके फायदे बता रहे हैं।"

उन्होंने कहा, ''प्रियंका गांधी (कांग्रेस महासचिव), सचिन पायलट (पूर्व उपमुख्यमंत्री, राजस्थान) जैसे लोग किसान पंचायत कर रहे हैं। इन्हें तो जनसभा का नाम दिया जाना चाहिए किसान पंचायत का नहीं। पंचायत एकतरफा नहीं होती।"

उन्होंने कहा, ''यह एक बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र है। सुनियोजित तरीके से ऐसे किसानों को गुमराह किया जा रहा है जिन्हें कृषि कानूनों की पूरी जानकारी नहीं है। भ्रम ज्यादा फैला दिया गया है। सच्चाई को नीचे तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लगेगा।

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधते हुए चाहर ने आरोप लगाया कि वह चुनावों से पहले गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कृषि कानूनों को मुद्दा बना रहा है ताकि जब टिकटों को लेकर आपसी तालमेल का समय आए तो उस समय वह अधिक से अधिक सीटें हासिल कर सके।

चाहर ने किसान नेता राकेश टिकैत को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि वह किसानों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने का प्रयत्न कर रहे हैं और अपने आंसुओं को भुनाने में लगे हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें