संसद में 26 बार पेश हो चुका है अविश्वास प्रस्ताव, सबसे ज्यादा इंदिरा गांधी के खिलाफ
मोदी सरकार पहली बार आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने जा रही है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।...
मोदी सरकार पहली बार आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने जा रही है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस, टीडीपी, एनसीपी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। अब तक सदन में 26 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है। अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के प्रतीकात्मक विरोध का एक साधन माना जाता थे, जिनका उद्देश्य सरकार की जवाबदेही करना होता था।
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अविश्वास प्रस्ताव के जुड़ें दिलचस्प फैक्ट्स
-सबसे ज्यादा 15 बार इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ पेश हुआ है
- पीएम रहते वाजपेयी (1996) और मोरारजी देसाई (1978) अविश्वास प्रस्ताव पेश होने से पहले दे चुके हैं इस्तीफा
-अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड सीपीएम पार्टी के सांसद रहे और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योतिर्मय बसु के नाम है। उन्होंने चार बार इंदिरा सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया है
-वाजपेयी के पीएम रहते तीन बार 1996, 1999 और 2003 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया
-अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किए हैं
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इस बार विपक्ष की कड़ी परीक्षा
बुधवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दलों की ताकत एनडीए के संख्या बल से आधी भी नहीं है। ऐसे में यह विपक्षी एकजुटता बनाम एनडीए के बीच मुकाबला है। सदन में मतदान की नौबत आने पर यह भी साफ हो जाएगा कि कौन किधर खड़ा है और कौन दोनों पक्षों से समान दूरी पर है। एनडीए को भी अपने सहयोगी दलों को समझने का मौका मिलेगा।
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क्या है अंकगणित?
सदन में मौजूदा सांसद 534
बहुमत का आंकड़ा 268
एनडीए 315
इनका रुख साफ नहीं 72
यूपीए और अन्य 147
कमजोर विपक्ष, सरकार को खतरा नहीं
अन्नाद्रमुक-37, बीजद-20, टीआरएस-11, इनेलो-02, पीडीपी-01, पप्पू यादव-01 समेत 72 सांसद ऐसे हैं जो दोनों पक्षों से बराबर दूरी बनाए हुए हैं। यह अगर विपक्ष के साथ नहीं जाते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव के साथ खड़े कांग्रेस, तेलुगुदेशम, माकपा, भाकपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, आप, राजद समेत एक दर्जन से ज्यादा दलों के पास 147 सांसदों का ही समर्थन रह जाता है, जो एनडीए से बहुत पीछे है। ऐसे में सरकार को कोई खतरा नहीं दिखता है।