जम्मू-कश्मीर पर फिर इमरान खान ने करवाई फजीहत, सऊदी अरब और ईरान ने दिया झटका
जम्मू-कश्मीर से पिछले साल अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुद्दे को कई बार उठाने की कोशिश की। हालांकि, वे इसमें असफल ही साबित हुए हैं। इमरान खान ने एक बार...
जम्मू-कश्मीर से पिछले साल अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुद्दे को कई बार उठाने की कोशिश की। हालांकि, वे इसमें असफल ही साबित हुए हैं। इमरान खान ने एक बार फिर से भारत को घेरने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम हो गए। खान को यह झटका सुन्नी और शिया वाले देश सऊदी अरब और ईरान ने दिया है। दरअसल, पाकिस्तान के मिशन 27 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर को लेकर काला दिवस आयोजित करना चाहते थे, जिसे सऊदी अरब और ईरान ने मना कर दिया।
इस मामले से परिचित लोगों ने बताया कि ईरान में पाकिस्तान के दूतावास ने तेहरान विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन करने का फैसला किया था, जिसे काला दिवस के रूप में मनाया जाना था। लेकिन तेहरान ने इस्लामाबाद को उस समय आश्चर्यचकित कर दिया जब उसने इस घटना की अनुमति देने से ही मना कर दिया। बाद में दूतावास सिर्फ एक वेबिनार के लिए राजी हुआ। इससे पता चलता है कि इमरान खान की सरकार को लगातार अनुच्छेद-370 के मुद्दे को उठाने में निराशा ही हाथ लग रही है।
इसके अलावा, रियाद में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास के भीतर एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने की इस्लामाबाद की योजना को भी सऊदी अरब ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। पूरे मामले से वाकिफ सूत्र ने बताया कि दो प्रभावशाली देशों की तरफ से रुख में यह बदलाव पाकिस्तान के मध्य-पूर्व के साथ समीकरणों को जाहिर करता है। व्यापक तौर पर देखें तो यह रिसेप एर्दोगन से बढ़ती नजदीकी का नतीजा है जो मध्य-पूर्व में तुर्की का प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं।
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हाल ही में, तुर्की ने फाइनैंशल एक्शन टाक्स फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने के दौरान भी साथ दिया था। 39 सदस्य देशों में से केवल तुर्की ने ही पाक को ग्रे लिस्ट से बाहर निकाले जाने की वकालत की थी। प्रधानमंत्री इमरान खान और तुर्की के एर्दोगन सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सुन्नी और ईरान के नेतृत्व वाले शिया ऑर्डर के विरोध में एक नया कट्टरपंथी इस्लामी धुरी बनाने के लिए साझेदारी कर रहे हैं।