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200 साल से संतूर बना रहा है यह कश्मीरी परिवार, मोदी सरकार ने आखिरी सरताज को दिया पद्म श्री

पद्म श्री सम्मान के लिए चयनित संतूर शिल्पकार गुलाम मोहम्मद जाज ने अपनी कला को पहचान मिलने ने पर बृहस्पतिवार को प्रसन्नता जताई लेकिन उन्हें कहा कि ऐसा लगता है कि यह सम्मान उन्हें देर से मिला।

200 साल से संतूर बना रहा है यह कश्मीरी परिवार, मोदी सरकार ने आखिरी सरताज को दिया पद्म श्री
Amit Kumarएजेंसियां,श्रीनगरThu, 26 Jan 2023 07:39 PM

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श्रीनगर के पुराने शहर में झेलम के तट पर गुलाम मोहम्मद जाज का घर है। वे सात दशकों से भी अधिक समय से अपने हाथ से तार वाले वाद्य यंत्र यानी संतूर बना रहे हैं। वह सिर्फ 12 साल के थे तब से संतूर बना रहे हैं। हालांकि उनका परिवार पिछले 200 से भी ज्यादा समय से इस विरासत को आगे बढ़ाते आ रहा है। कश्मीर में गुलाम मोहम्मद जाज का परिवार सदियों से संतूर बना रहा है। अब भारत सरकार ने भी उनकी कला को पहचाना है। इस साल उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 

देर से मिला सम्मान!

इस साल पद्म श्री सम्मान के लिए चयनित संतूर शिल्पकार गुलाम मोहम्मद जाज ने अपनी कला को पहचान मिलने ने पर बृहस्पतिवार को प्रसन्नता जताई लेकिन उन्हें कहा कि ऐसा लगता है कि यह सम्मान उन्हें देर से मिला। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पद्मश्री पाकर बहुत खुश हूं लेकिन मुझे और अधिक खुशी होती यदि यह पुरस्कार उस समय मिलता जब मेरे दादा, मेरे पिता या मेरे चाचा जीवित होते और वे इन यंत्रों को बना रहे होते।’’ 81 साल के जाज ने यहां अपने घर में कहा, 'मैं उनके सामने कुछ भी नहीं हूं। मैंने जो कुछ भी सीखा, उनसे सीखा।' उन्होंने कहा कि वह संतूर सहित विभिन्न संगीत वाद्ययंत्र बनाते रहेंगे जब तक उनका जीवन रहेगा। उन्होंने कहा, "इस पुरस्कार ने मेरे विश्वास को बहाल किया है कि ऐसे लोग हैं जो ऐसे काम की सराहना करते हैं। यह एक मर रही कला है। आखिरकार, किसी ने इसके लिए आवाज उठाई है।"

नहीं पता... परिवार में कैसे आई यह कला

जाज ने कहा कि वह अपने परिवार की आठवीं पीढ़ी हैं जो तार वाले वाद्ययंत्र बना रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह हमारे परिवार में कैसे आया। कुछ लोग कहते हैं कि मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान आया जबकि अन्य कहते हैं कि यह उन शिल्पों में से एक था जो मीर सैयद अली हमदानी (14 वीं शताब्दी के इस्लामिक उपदेशक, कवि और यात्री) के साथ कश्मीर आया।’’ उन्होंने नयी पीढ़ियों द्वारा इस कला में रुचि नहीं दिखाने पर निराशा जताई लेकिन यह भी उम्मीद व्यक्त की कि कोई इसे आगे बढ़ाएगा और इसे मरने नहीं देगा।

संतूर के 'आखिरी' सरताज 

भारत सरकार ने पद्म श्री के लिए गुलाम मोहम्मद जाज के नाम की घोषणा करते समय उन्हें 'संतूर का सरताज' बताया। सरकार ने कहा कि उनका परिवार पिछले 200 साल से संतूर बना रहा है और खुद गुलाम मोहम्मद जाज आठवीं पीढ़ी के संतूर शिल्पकार हैं। अब गुलाम मोहम्मद जाज को कश्मीर का आखिरी संतूर शिल्पकार कहा जाता है। कहते हैं कि उनके बाद परिवार में अब कोई वाद्य यंत्र नहीं बनाएगा। वह परिवार की आखिरी और 8वीं पीढ़ी हैं जो पिछले कई दशकों से घाटी में बेहतरीन संतूर बनाने के लिए जाने जाते हैं।

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