लोकसभा में तीन तलाक का ओवैसी ने किया विरोध, कहा- सड़क पर आ जाएंगी औरतें
लोकसभा में तीन तलाक पर गुरूवार को बहस के दौरान इसके पक्ष और विपक्ष में बातें राजनीतिक दलों की तरफ से रखी जा रही है। इस बिल का जेडीयू के साथ ही सभी विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है।...
लोकसभा में तीन तलाक पर गुरूवार को बहस के दौरान इसके पक्ष और विपक्ष में बातें राजनीतिक दलों की तरफ से रखी जा रही है। इस बिल का जेडीयू के साथ ही सभी विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का विरोध किया है। उन्होंने इस बिल को संविधान और मुस्लिम औरतों के खिलाफ करार दिया।
उन्होंने सदन में कहा कि तीन तलाक का यह बिल संविधान के खिलाफ है। आप इस बिल के माध्यम से तीन तलाक को अपराध बना रहे हैं। ओवैसी ने इस दौरान सरकार पर मुस्लिम महिला विरोधी होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार इस कानून के जरिए मुस्लिम औरतों पर जुल्म करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुका है कि अगर गलती से तीन तलाक कह दिया जाए तो भी शादी नहीं टूटती।
ओवैसी ने इस दौरान इस्लाम में शादी को लेकर भी बातें कही। उन्होंने कहा कि इस्लाम में शादी जन्म-जन्मों का बंधन नहीं होता। हमारे धर्म में शादी एक करार है। सरकार इसे जन्मों का बंधन बना रही है।
उन्होंने कहा कि अगर पति को ही जेल में डाल देंगे तो वह औरत को मुआवजा कैसे दे पाएगा। 3 साल तक पति जेल में रहे और उसकी पत्नी जेल के बाहर 3 साल तक उसका इंतजार करती रहे। ओवैसी ने सरकार पर शादी को खत्म करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार बिल के माध्यम से शादी को खत्म कर रही है। इस बिल की वजह से औरतें सड़कों पर आ जाएगी।
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ओवैसी ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह मुस्लिमों को शिक्षा से दूर करने के लिए यह बिल ला रही है। उन्होंने कहा कि शादी हमारे यहां एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह है उसमें जन्मों के बंधन का साथ नहीं होता। जब तक जिंदगी है तब तक शादी है। जिनकी शादी हो चुकी है उन सभी को शादी के बाद की तकलीफ मालूम हैं।
गौरतलब है कि सरकर आज तील तलाक बिल को सदन में पेश किया गया। इसके ऊपर चर्चा की जा रही है। इस बिल का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है। विरोध में एनडीए की सहयोगी जेडीयू भी शामिल है। विपक्ष सरकार पर यह भी आरोप लगा रहा है कि ट्रंप के बयान वाले मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ही सरकार इस बिल को ला रही है।
इस बिल को पेश करते हुए कानूम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा, स्वाभिमान, सम्मान के लिए अहम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह मुस्लिम महिलाओं की रक्षा करें। उन्होंने इस दौरान सभी राजनीतिक दलों से निवेदन किया की वह इस बिल को सियासी चश्में पहन कर ना देखे।
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