Outer Space Treaty : जानिए क्या है यह संधि, जिसके तहत स्पेस में हथियार हैं प्रतिबंधित
A-SAT का पहला सफल परीक्षण भारत को अंतरिक्ष में सुपर पावर के तौर पर स्थापित करने की ओर बढ़ाया गया कदम है। मगर इसके साथ एक सवाल उठ रहा है कि यह परीक्षण आउटर स्पेस ट्रीटी यानी बाह्य अंतरिक्ष संधि के...
A-SAT का पहला सफल परीक्षण भारत को अंतरिक्ष में सुपर पावर के तौर पर स्थापित करने की ओर बढ़ाया गया कदम है। मगर इसके साथ एक सवाल उठ रहा है कि यह परीक्षण आउटर स्पेस ट्रीटी यानी बाह्य अंतरिक्ष संधि के लिहाज कितना सही है। इसके बारे में विशेषज्ञों की जो राय है, सो है मगर पहले यह जानना जरूरी है कि यह संधि क्या है। इन 5 पांच point में आइए जानें इसे :
1. बाह्य अंतरिक्ष संधि 27 जनवरी, 1967 को अमेरीका, सोवियत संघ और ब्रिटेन ने आउटर स्पेस में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई थी। इस समझौते पर 105 देशों ने दस्तख़त किए हैं।
2. दिसंबर, 1966 में UN महासभा द्वारा अनुमोदित संधि की शर्तों के अनुसार बाहरी अंतरिक्ष पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है और सभी देशों को अंतरिक्ष अनुसंधान की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। इस
3. संधि पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश बाह्य अंतरिक्ष का केवल शांतिमय उपयोग के लिए प्रयोग कर सकते हैं और चांद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह सैनिक केंद्रों की स्थापना निषिद्ध है।
4. इसके साथ ही चांद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह के प्रतिष्ठान स्थापित करने वाले देश समुचित समय की सूचना के बाद दूसरे देशों को उनका निरीक्षण करने देंगे।
5. इसके मुताबिक अंतरिक्ष में परमाणु हथियार और और सामूहिक विनाश के दूसरे हथियार या Weapons of Mass Destruction साधनों से सुसज्जित उपग्रहों, अंतरिक्ष यानों आदि का इस्तेमान प्रतिबंधित है। इसके तहत अगर किसी देश का अंतरिक्ष यात्री गलती से किसी दूसरे देश की सीमा में उतर जाए, तो उसके देश को सौंप दिया जाएगा।
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