जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा, अध्यादेश कानून बनाने का आदर्श तरीका नहीं
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि अध्यादेश कानून बनाने का आदर्श मार्ग नहीं है, कानून बहस के जरिए लाया जाना चाहिए क्योंकि उससे उसकी कमियां दूर करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि वैसे...
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि अध्यादेश कानून बनाने का आदर्श मार्ग नहीं है, कानून बहस के जरिए लाया जाना चाहिए क्योंकि उससे उसकी कमियां दूर करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि वैसे तो अध्यादेश के मार्फत कानून बनाना वैध प्रक्रिया है, लेकिन उसमें खामियां रह जाती हैं जिन्हें सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से कम किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अपनी समय-सीमा पूरी कर चुके मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक, 2018 को फिर लाया जाता है तो इसे उसी रास्ते से नहीं लाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने यहां 'एन ओवरव्यू ऑफ आर्बिट्रेशन लैंडस्कैप इन इंडिया' विषय पर 'नानी पालखीवाला व्याख्यान देते हुए यह टिप्पणियां कीं।
उन्होंने कहा, ''मध्यस्थता एवं सुलह विधेयक, 1996 अध्यादेश के रास्ते लाया गया था और उसे सार्वजनिक चर्चा और संसद में सभी दलों द्वारा बहस का लाभ नहीं मिला। मैं नहीं समझती हूं कि यह कोई कानून लाने का आदर्श तरीका है, वैसे वैध तरीका जरूर है।" उन्होंने कहा, ''मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक, 2015 फिर अध्यादेश के रास्ते से लाया गया। यह सही विचार नहीं है। इसे बहसों से गुजरना चाहिए क्योंकि इससे कानून की कमियां दूर करने में मदद मिलती है।"