एक साथ चुनाव पर विपक्ष बंटा, 16 दलों ने दूरी बनाई
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर बुधवार को विपक्ष बंटा नजर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का कांग्रेस, सपा-बसपा समेत कई दलों ने बहिष्कार कर...
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर बुधवार को विपक्ष बंटा नजर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का कांग्रेस, सपा-बसपा समेत कई दलों ने बहिष्कार कर दिया। वहीं, माकपा, एनसीपी और नेशनल कांफ्रेंस समेत कई दलों ने मौजूद रहकर अपनी बात कही। प्रधानमंत्री ने इस पर विचार के लिए समिति बनाने की घोषणा की है।
16 दलों ने दूरी बनाई
सर्वदलीय बैठक के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि 40 दल आमंत्रित किए गए थे, जिनमें से 21 पार्टियों के नेता शामिल हुए। तीन ने लिखित में अपने सुझाव भेजे हैं। उन्होंने दावा किया कि अधिकांश दलों ने इस विचार का समर्थन किया है। हालांकि भाकपा व माकपा ने इसके क्रियान्वयन पर आशंकाएं जाहिर की हैं। कांग्रेस, तृणमूल, ‘आप’, सपा, बसपा समेत 16 दल शामिल नहीं हुए।
मोदी बोले, सरकार का नहीं, देश का एजेंडा
बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि एक देश-एक चुनाव सरकार का नहीं बल्कि देश का एजेंडा है। इस पर सभी दलों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। विचारों के मतभेद हो सकते हैं, उनका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी, जो निर्धारित समय में सभी पक्षों के साथ विचार कर अपने सुझाव देगी।
कई दलों का साथ
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना का स्थापना दिवस होने के कारण उद्धव ठाकरे इसमें शामिल नहीं हो सके लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, अकाली नेता सुखबीर बादल, बीजद के नवीन पटनायक, वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी ने हिस्सा लिया।
देश में नया नहीं प्रयोग
1952 में पहली लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ हुए
1967 तक लगातार चार बार चुनाव में एक साथ मतदान हुआ
1968-69 में यह क्रम टूट गया
दुनिया के कई देशों में साथ चुनाव
कम से कम दुनिया के 10 ऐसे देश हैं जहां संघीय सरकार और प्रांतीय सरकारों के साथ चुनाव होते हैं। इनमें पड़ोसी पाकिस्तान भी शामिल हैं। इनके अलावा इंडोनेशिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, हंगरी, बेल्जियम आदि में भी साथ चुनाव होते हैं।
पक्ष में तर्क
बार-बार आचार संहिता लागू नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित नहीं होगा
सरकारी खजाने पर कम बोझ पड़ेगा कालेधन के इस्तेमाल पर रोक लगेगी
सुरक्षा बलों की तैनाती ज्यादा नहीं करनी पड़ेगी और कर्मचारियों और शिक्षकों पर से दबाव कम होगा
विपक्ष की दलील
संविधान में साथ चुनाव का प्रावधान नहीं, यह मूल भावना के खिलाफ
खर्च कम होने का तर्क गलत क्योंकि अतिरिक्त ईवीएम खरीदनी पड़ेगी
राष्ट्रीय मुद्दे हावी होने से क्षेत्रीय दलों को नुकसान होने की पूरी संभावना
राज्यों की स्वायत्ता पर असर पड़ेगा
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