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उम्मीदः नौसेना में तेजस के लिए मौका बरकरार, मिल रही आर्थिक सहायता

स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस को वैसे तो नौसेना अपने लिए उपयुक्त नहीं मान रही है, लेकिन परियोजना के लिए आर्थिक मदद को जारी रखा है। नौसेना सूत्रों का कहना है कि यदि भविष्य में तेजस का उन्नत संस्करण उसके...

उम्मीदः नौसेना में तेजस के लिए मौका बरकरार, मिल रही आर्थिक सहायता
नई दिल्ली| मदन जैड़ाTue, 20 Feb 2018 07:33 AM
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स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस को वैसे तो नौसेना अपने लिए उपयुक्त नहीं मान रही है, लेकिन परियोजना के लिए आर्थिक मदद को जारी रखा है। नौसेना सूत्रों का कहना है कि यदि भविष्य में तेजस का उन्नत संस्करण उसके मानकों पर खरा उतरता है तो इसे नौसेना में शामिल करने के आसार बन सकते हैं। 

तेजस को वायुसेना में शामिल किया जा चुका है, लेकिन नौसेना ने इसे लेकर अनिच्छा जताई है। पिछले साल उसने नए विमान वाहक पोत विक्रांत के लिए 57 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके बावजूद नौसेना ने एलसीए तेजस से हाथ पीछे नहीं खींचा है। नौसेना ने दिसंबर 2017 में तेजस के लिए 1921 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यह तेजस के नए संस्करण पर आने वाले खर्च का करीब 25 फीसदी है। 

वायुसेना के साथ-साथ नौसेना शुरू से ही इस परियोजना को आर्थिक मदद प्रदान कर रही है। पूरी परियोजना को अब तक नौसेना 3650 करोड़ रुपये दे चुकी है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अभी तक नौसेना के लिए दो संस्करण तैयार किए हैं जिन्हें आरंभिक जांच के बाद खारिज कर दिया गया। 

दरअसल, वायुसेना एवं नौसेना के लड़ाकू विमानों में कुछ बुनियादी फर्क होते हैं। जैसे, नौसेना अपने फाइटर को विमान वाहक पोत पर तैनात करती है। वहां उतरने और उड़ान भरने के लिए मुश्किल से 200-250 मीटर की एयरपट्टी होती है, जबकि वायु सेना के हवाईअड्डों की पट्टियां कई किलोमीटर लंबी होती हैं। नौसेना के लड़ाकू विमान का वजन कम होना चाहिए, लेकिन ईंधन ले जाने की क्षमता ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि समुद्र में उड़ान भरने के बाद ईंधन भरने का अन्य विकल्प नहीं होता है।

इसी प्रकार नौसेना लड़ाकू विमानों में पंखों पर हथियार आदि फिट करने, लैडिंग के लिए अलग गीयर आदि की जरूरतें होती हैं। इन खूबियों के लिए तेजस में बुनियादी बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि तेजस के नौसेना संस्करण पर कार्य जारी है। इसे नौसेना के लिए उपयुक्त बनाने के प्रयास एचएएल द्वारा किया जा रहा हैं। इसलिए नौसेना द्वारा 57 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया के बावजूद तेजस के लिए अवसर खत्म नहीं हुए हैं। 

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