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तंगी ने बिगाड़ा स्वास्थ्य बजट, पिछली बार के मुकाबले सिर्फ 4% बढ़ा आवंटन

भारत सरकार के तंगहाल खजाने का असर सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों, खासकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर पड़ा है। इस साल स्वास्थ्य बजट में मात्र चार फीसदी का इजाफा किया गया है। यहां तक कि स्वास्थ्य...

तंगी ने बिगाड़ा स्वास्थ्य बजट, पिछली बार के मुकाबले सिर्फ 4% बढ़ा आवंटन
स्कन्द विवेक धर,नई दिल्लीSun, 02 Feb 2020 10:25 AM
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भारत सरकार के तंगहाल खजाने का असर सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों, खासकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर पड़ा है। इस साल स्वास्थ्य बजट में मात्र चार फीसदी का इजाफा किया गया है। यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्रालय की दो फ्लैगशिप योजनाओं के लिए भी बजट आवंटन में बढ़ोतरी नहीं की गई है। मालूम हो, पिछले साल स्वास्थ्य बजट में 19 फीसदी का बड़ा इजाफा किया गया था।
 

पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 64,559 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, जो इस साल बढ़कर 67,112 करोड़ रुपये हो गए। यानी कुल 2553 करोड़ रुपये का इजाफा। स्वास्थ्य मंत्रालय की सबसे पड़ी योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को इस साल 33,400 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। यह पिछले साल के बजट से 505 करोड़ रुपये अधिक और संशोधित बजट की तुलना में 390 करोड़ रुपये कम है। बजट में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को 6400 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। यह राशि पिछले साल बजट में आवंटित राशि के ही बराबर है।

आयुष्मान भारत के एक अन्य हिस्से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए 1350 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि पिछले साल के ही बराबर है। देशभर में नए एम्स का निर्माण करने के लिए चल रही प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को इस साल 6020 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। यह राशि पिछले साल के चार हजार करोड़ रुपये से डेढ़ गुना है। हालांकि, इस राशि में से 1400 करोड़ रुपये हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (हीफा) का ब्याज एवं मूलधन की किश्त चुकाने पर खर्च हो जाएंगे। दिल्ली एम्स के लिए 3489.96 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह राशि पिछले साल आवंटित 3599.65 करोड़ रुपये से करीब 110 करोड़ रुपये कम है। एम्स के अलावा पीजीआई चंडीगढ़ एवं जिपमर पुडुचेरी के बजट में भी कटौती की गई है।
 

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा- बजट स्वच्छता, स्वच्छ जल, पोषण और वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों के जरिए जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। स्वास्थ्य देखभाल के लिए बजट  पीएमजेएवाई पर केंद्रित है। पीपीपी मॉडल में अस्पतालों को अपग्रेड करने पर इस बात के लिए सतर्क करने की जरूरत होगी कि कहीं निजी क्षेत्र सेवाओं के लिए जरूरत से अधिक राशि वसूलना शुरू कर दें।


विशेषज्ञ टिप्पणी
के. सुजाता राव, पूर्व स्वास्थ्य सचिव
स्वास्थ्य बजट में भले ही ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई हो, लेकिन राहत की बात ये है कि आर्थिक संकट के बावजूद इसमें कटौती नहीं की गई है। इससे कम से कम जो योजनाएं चल रही हैं, उनमें कटौती नहीं होगी। वहीं, कुछ योजनाओं को प्राथमिकता के अनुसार अधिक राशि दी जा सकेगी। बजट में दो महत्वपूर्ण योजनाओं- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के आवंटन को बरकरार रखा गया है। मुझे जो चुनौती नजर आ रही है वह आकांक्षी जिलों में निजी क्षेत्र के सहयोग से जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने की योजना। ये निजी अस्पताल तो बड़े शहरों में ही नुकसान में हैं। ऐसे में वह पिछड़े जिलों में क्यों जाएंगे? सरकार जो वायाबिलिटी गैप फंड देने की बात कर रही है, इससे वह खुद ही इन जिला अस्पतालों की तस्वीर क्यों नहीं सुधार देती? सरकार को ये भी सोचना होगा कि अगर इसी रफ्तार से स्वास्थ्य आवंटन बढ़ेगा तो हम 2025 तक स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.5 फीसदी कैसे खर्च कर पाएंगे?


पिछले साल के के मुकाबले इस साल करोड़ हुआ बजट
67112 करोड़ स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रस्तावित है। 
20 हजार से ज्यादा अस्पताल पीएम जन आरोग्य योजना के तहत पैनल में हैं। इसे बढ़ाया जाएगा।
112 आकांक्षी जिलों में पीपीपी मोड में अस्पताल बनाए जाएंगे। बड़ी संख्या में रोजगार मिलेंगे।
12 बीमारियों से लड़ता है मिशन इंद्रधनुष।
2025 तक टीबी को भारत से खत्म किया जाएगा।
6,000 ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र’ वर्तमान में हैं।
2024 तक सभी जिलों में जन औषधि केंद्र योजना का विस्तार।
2000 दवाइयां और 300 शल्य चिकित्सा सामान इन केंद्रों से मिलेंगे।
ओडीएफ प्लस ताकि साफ-सफाई को लेकर जागरुकता बढ़ाई जाए।
मेडिकल उपकरणों पर जो टैक्स लगता है उससे मिलने वाले पैसे का उपयोग अस्पताल बनाने में किया जाएगा।

पिछले साल के बजट में
2019-2020 के लिए 64,559 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र को।
249.96 करोड़ रुपये राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत 'आयुष्मान भारत हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर' के लिए।
1,349.97 करोड़ रुपये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आवंटन।
2,500 करोड़ रुपये राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए
1.5 लाख उपकेंद्रों और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों को 2022 तक हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर्स में रूपांतरित की योजना
32,995 करोड़ रुपये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए
2018-2019 में पेश बजट में 52,800 करोड़ रुपये इस क्षेत्र को मिले थे।

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