क्लोनिंग का अंदेशा होते ही खुद बंद हो जाएगा एटीएम, युद्ध स्तर पर काम शुरू
देशभर में एटीएम से कार्ड क्लोनिंग संभव न हो सके, इसके लिए युद्धस्तर पर काम शुरू हो गया है। मौजूदा एटीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि क्लोनिंग का अंदेशा भांपते ही एटीएम खुद...
देशभर में एटीएम से कार्ड क्लोनिंग संभव न हो सके, इसके लिए युद्धस्तर पर काम शुरू हो गया है। मौजूदा एटीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि क्लोनिंग का अंदेशा भांपते ही एटीएम खुद बंद हो जाए और ग्राहक क्लोनिंग का शिकार बनने से बच जाए।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऐसी तकनीक अपनाने जा रहा है, जिससे बैंक के एटीएम से कार्ड की क्लोनिंग संभव नहीं होगी। हिंदुस्तान को मिली जानकारी के मुताबिक कई बैंकों ने कार्ड क्लोनिंग से निपटने की तकनीक के इस्तेमाल और ग्राहकों को जागरूक करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत एटीएम के हार्डवेयर में बदलाव होंगे। उनमें नए कार्ड रीडर लगाए जाएंगे, जो चिप वाले एटीएम कार्ड ही स्वीकार करेंगे। साथ ही मशीन के अंदर के सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जाएगा, ताकि क्लोनिंग के जरिए होने वाली धोखाधड़ी की जानकारी तुरंत बैंक तक पहुंच जाए।
पीएनबी ने अपने सभी एटीएम में ‘एंटी क्लोनिंग डिवाइस’ लगानी शुरू कर दी है। इसके जरिए जैसे ही कोई शख्स एटीएम में क्लोनिंग के लिए कैमरा या सेंसर डिवाइस लगाने के लिए छेड़छाड़ करेगा, मशीन बंद हो जाएगी। मशीन से ही धोखाधड़ी का अलार्म सीधे बैंक के मुख्यालय पर पहुंचेगा। वहां से जरूरी कार्रवाई की जाएगी। जब तक एटीएम पुन: सुरक्षित नहीं होता, तब तक उसे ऑन नहीं किया जाएगा।
सभी बैंकों को निर्देश जारी
-वर्ष 2017 के बाद से सभी एटीएम पहले से इस तकनीक से लैस हैं, लेकिन तमाम एटीएम को क्लोनिंग मुक्त करने को लेकर रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को हाल ही में निर्देश जारी किए हैं।
-देश में करीब 60-65 फीसदी ऐसे एटीएम हैं, जिनमें ये बदलाव किए जाने हैं। पीएनबी अपने 6500 एटीएम में ये बदलाव करेगा। यह कार्य मार्च, 2019 तक कर लिया जाएगा।
-रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को 31 दिसंबर 2018 तक मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड की जगह चिप वाले एटीएम कार्ड देने के निर्देश दिए हैं।
कैसे होती है एटीएम क्लोनिंग?
-साइबर ठग मौजूदा एटीएम में एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करने के लिए सेंसर डिवाइस लगाते हैं। ये डिवाइस एटीएम की सारी जानकारी सहित पासवर्ड भी कॉपी करता है।
-धोखाधड़ी करने वाला गिरोह सारी जानकारी कंप्यूटर के जरिए खाली एटीएम कार्ड में डालकर ट्रांजैक्शन शुरू कर देता है। गिरोह की कारगुजारी जब तक ग्राहक को पता चलती है, तब तक नुकसान हो चुका होता है।
कैसे बचें एटीएम क्लोनिंग से?
1- एटीएम का पिन किसी से साझा न करें। न ही एटीएम किसी दूसरे को सौंपें।
2- एटीएम का पिन पूछने वाले फोन कॉल पर कोई भी जानकारी न दें।
3- समय-समय पर अपने एटीएम का पिन बदलते रहें।
4- मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड बैंक जाकर चिप वाले कार्ड में बदलवा लें। चिप वाले कार्ड का क्लोन बनाना बेहद मुश्किल है।
5- ध्यान रखें कि एटीएम में आपके ट्रांजैक्शन के समय कोई दूसरा व्यक्ति वहां मौजूद न हो।
6- दुकान या रेस्तरां में कार्ड का इस्तेमाल अपने सामने ही करें, पीओएस मशीन में पिन भी खुद दाखिल करें।
7- एटीएम कार्ड इस्तेमाल करते वक्त जरूर देखें कि मशीन का कार्ड रीडर एटीएम से ठीक से जुड़ा हो, ढीला न हो।
8- एटीएम का कार्ड रीडर ढीला होने पर इस बात की गुंजाइश होती है कि उस एटीएम से छेड़छाड़ की गई है या कोई सेंसर लगा है जो आपकी जानकारी चुरा रहा हो।
9- पैसे निकालते समय एटीएम को चेक कर लें कि वहां कोई दूसरा की-बोर्ड तो नहीं लगा है। मशीन में देखें कि कोई अतिरिक्त मशीन या कैमरा तो नहीं है।
10- अगर ट्रांजैक्शन अधूरा हो तो एटीएम छोड़ने से पहले कैंसिल बटन दबाना न भूलें और तब तक इंतजार करें, जब तक होम स्क्रीन न दिखने लगे। ऐसा न करने पर हो सकता है कि जो राशि निकालने की कोशिश आपने की, थोड़ी देर बाद निकल आए या फिर आपके बाद आने वाला शख्स कोई ट्रांजैक्शन कर ले।
11- एटीएम कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने पर तुरंत अपने बैंक के इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें और उसे ब्लॉक करवाएं। नया कार्ड बनवाने पर पुराने को नष्ट कर दें।
12- हमेशा बैंक में अपने मोबाइल नंबर को ही रजिस्टर करवाएं ताकि जब भी आपके कार्ड से पैसे निकाले जाएं आपको इस बात की जानकारी हो।
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