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कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार इस शख्स ने दिया था एक्सीडेंट का पहला अलर्ट, हादसे की कहानी उसी की जुबानी

कोरोमंडल एक्सप्रेस में यह भयावह हादसा हुआ, इस एक्सीडेंट का पहला अलर्ट देने वाले एनडीआरएफ जवान वेंकटेशन एनके ही थे। वो खुद इस ट्रेन में सवार थे। हादसे की कहानी उन्हीं की जुबानी।

कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार इस शख्स ने दिया था एक्सीडेंट का पहला अलर्ट, हादसे की कहानी उसी की जुबानी
Gaurav Kalaलाइव हिन्दुस्तान,भुवनेश्वरSun, 04 Jun 2023 11:04 AM
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ओडिशा के बारासोल रेल हादसे ने 294 जिंदगियां लील ली और सैंकड़ों लोग अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहे हैं। इस भीषण हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में 1000 से अधिक जवानों, नर्सों, डॉक्टर शामिल थे। हादसे से जुड़ी की महत्वपूर्ण जानकारियों में एक बात यह भी है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में इस भयावह हादसे का पहला अलर्ट देने वाले एनडीआरएफ जवान वेंकटेशन एनके थे। वो खुद इस ट्रेन में सवार थे। वो बताते हैं कि एक जोरदार झटके के बाद यात्री एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे। कुछ ही पलों में लाशों का अंबार लग गया। फिर कैसे उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की मदद की। हादसे की कहानी उन्हीं की जुबानी।

बालासोर में हादसे वाली जगह के पास मौजूद मुर्दाघर बन चुके हाई स्कूल में रखी कई लाशें टुकड़ों में रखी गई हैं। स्कूल में कुल मिलाकर 163 शव रखे गए हैं। जिनमें से शनिवार देर रात तक सिर्फ 30 शवों की ही शिनाख्त हो पाई। कुछ के शव बिजली के झटकों से बुरी तरह जल गए हैं। कई शवों को पहचानना तक मुश्किल है। देश ने ओडिशा रेल हादसे के रूप में दशकों बाद ऐसी त्रासदी देखी है, जिसके जख्म इतने गहरे हैं जिनके भरने में लंबा वक्त लग जाएगा। घटनास्थल का नजारा इतना भयावह है कि किसी की भी दिल रो पड़े। 

कोरोमंडल में सवार थे, दिया था पहला अलर्ट
एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश एनके भी हजारों यात्रियों की तरह कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे। वे पश्चिम बंगाल से तमिलनाडु जा रहे थे। पीटीआई से बातचीत में वो कहते हैं कि उन्होंने एक बड़ा झटका महसूस किया और अपने कोच में कुछ यात्रियों को एक-दूसरे के ऊपर गिरते देखा। वह थर्ड एसी कोच में थे और उनकी सीट संख्या 58 थी।

लाइव लोकेशन से पहुंची एनडीआरएफ
यह उस वक्त की बात है जब कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश, सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में से एक थे। उन्होंने तुरंत बटालियन में अपने वरिष्ठ निरीक्षक को दुर्घटना के बारे में सूचित करने के लिए बुलाया। अधिकारियों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वेंकटेशन द्वारा व्हाट्सएप पर एनडीआरएफ नियंत्रण कक्ष को भेजी गई साइट की 'लाइव लोकेशन' का इस्तेमाल पहले बचाव दल ने दुर्घटना स्थल पर पहुंचने के लिए किया था।

घायल थे पर मसीहा बनकर की मदद
अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती बचाव प्रयासों में शामिल होने से पहले वह ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटना के बारे में आपातकालीन सेवाओं को सतर्क करने वाले शायद पहले व्यक्ति थे। कोलकाता में एनडीआरएफ की बटालियन में तैनात 39 वर्षीय जवान वेंकटेशन अपने साथियों को सूचना देने के बाद इंतजार करने के बजाय उठे और कोचों के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए मुड़े। उन्होंने पहले यात्री को बाहर निकाला, रेलवे ट्रैक के पास एक दुकान में बिठाया और फिर दूसरों की मदद के लिए दौड़े। इस तरह खुद घायल वेंकटेशन ने कईयों की जिंदगी बचाई।

वेंकटेशन ने लोगों की मदद करने के बारे में विस्तार से बताया, "मैंने घायल और फंसे हुए यात्रियों का पता लगाने के लिए अपने मोबाइल फोन की रोशनी का इस्तेमाल किया। मैं उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले गया। यहां घोर अंधेरा था और स्थानीय लोगों ने भी अपने मोबाइल फोन और टॉर्च का इस्तेमाल किया।" इसके बाद बचाव दल के आने तक यात्रियों की मदद करें।"

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