तीन लोगों ने बारी-बारी से किया रेप, फिर वैन में घुमाती रही पुलिस; गैंगरेप पीड़िता ने सुनाई आपबीती
घटना 18 जनवरी (बुधवार) को उस समय हुई जब पीड़िता अपने चचेरे भाई के साथ अपने रिश्तेदार के घर से लौट रही थी। आरोप है कि तीन युवकों ने महिला के चचेरे भाई से मारपीट कर उसे जबरन उठा लिया।

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ओडिशा से एक शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। क्योंझर जिले में एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे गुरुवार को अपनी चिकित्सा जांच कराने के लिए 12 घंटे तक पुलिस वैन में इंतजार करना पड़ा। पुलिस के अनुसार, महिला को गुरुवार सुबह एक पुलिस वैन में अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी मेडिकल जांच करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने कहा कि अस्पताल ने जांच से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि अपराध की जगह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधिकार क्षेत्र में आती है। इसके बाद महिला के साथ गए पुलिस कर्मी उसे सीएचसी ले गए।
सीएचसी में मेडिकल जांच के लिए कोई महिला डॉक्टर नहीं होने के कारण उसे घंटों पुलिस वैन में बिठाया गया। पुलिस महिला को दोबारा अनुमंडलीय अस्पताल लेकर आई जहां गुरुवार की रात करीब साढ़े नौ बजे चिकित्सकों ने उसका प्रारंभिक परीक्षण किया। हालांकि महिला ने अगले दिन अपना पूरा मेडिकल परीक्षण कराया।
गैंगरेप की यह घटना 18 जनवरी (बुधवार) को उस समय हुई जब पीड़िता अपने चचेरे भाई के साथ अपने रिश्तेदार के घर से लौट रही थी। आरोप है कि तीन युवकों ने महिला के चचेरे भाई से मारपीट कर उसे जबरन उठा लिया। महिला ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि बदमाशों ने उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया। पुलिस ने कहा कि शनिवार शाम तक किसी को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चिकित्सा जांच में देरी के बारे में पूछे जाने पर, क्योंझर के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) किशोर चंद्र प्रुस्टी ने कहा जब मामला यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पास्को) के तहत दर्ज किया जाता है तब केवल एक पंजीकृत महिला चिकित्सक ही उस बलात्कार पीड़िता की चिकित्सा जांच कर सकती है। प्रुस्टी ने बताया, “मैं छुट्टी पर था इसलिए मामले की डिटेल नहीं जानता। ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद मैं तथ्यों की पुष्टि करूंगा।"
पुलिस सूत्रों ने कहा कि कुछ समन्वय की समस्या के कारण चिकित्सा जांच की प्रक्रिया में देरी हुई और इसमें जानबूझकर देरी नहीं की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि गुरुवार सुबह नौ बजे पुलिस उसे 40 किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल से थाने ले आई। बाद में एक डॉक्टर ने आखिरकार रात 9.30 बजे उसका इलाज किया।
