मजदूरी और खलासी का काम करने वाले से हार गए नवीन पटनायक, कौन हैं भाजपा के लक्ष्मण
Odisha: 2019 के विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक ने हिंजिली और कांटाबांजी दोनों पर ही जीत हासिल की थी। इस चुनाव में हिंजिली में उन्हें जीत तो जरूर मिली, लेकिन अंतर सिर्फ 4600 मतों का रह गया।
लोकसभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन 2019 की तुलना में कमजोर रहा, लेकिन ओडिशा के नतीजों से विरोधियों को चौंका दिया। बीजेडी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तक को कांटाबांजी सीट पर हार का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा के लक्ष्मण बाग ने 16 हजार से अधिक मतों से हराया। आपको बता दें कि पटनाक दो-दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे।
2019 के विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक ने हिंजिली और कांटाबांजी दोनों पर ही जीत हासिल की थी। इस चुनाव में हिंजिली में उन्हें जीत तो जरूर मिली, लेकिन अंतर सिर्फ 4600 मतों का रह गया।
कौन हैं पटनायक को हराने वाले लक्ष्मण बाग?
लक्ष्मण बाग का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने दिहाड़ी मजदूरीकी। ट्रक पर खलासी का काम कर अपना जीवनयापन किया। बाद में उन्होंने ट्रक खरीद ली और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में लग गए। इसके बाद वह निरंतर आगे बढ़ते रहे और राजनीति में भी अपनी किश्मत आजमाई। 2014 के चुनाव में वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के संतोष सिंह सलूजा से मात्र 128 वोटों से हार गए थे।
कांटाबांजी को पश्चिमी ओडिशा के प्रवासी मजदूरों को तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के ईंट भट्टों और तमिलनाडु तक ले जाने का प्रवेश द्वार माना जाता है। हर साल पश्चिमी ओडिशा के कालाहांडी, नुआपारा, बोलनगीर, संबलपुर और बरगढ़ जिलों के हजारों गरीब युवा कांटाबांजी रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा होते हैं। यहां से वे हैदराबाद और विशाखापत्तनम जाते हैं।
कद्दावर पटनाय के कैसे दी मात?
कांटाबांजी में नवीन पटनायक ने कभी प्रचार नहीं किया। इससे उलट 48 साल के लक्ष्मण बाग ने श्रमिकों के पलायन को लेकर बीजेडी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे अपना मुख्य एजेंडा बनाया। बाग ने अपनी जीत के एक दिन बाद कहा, “कांटाबाजी में बेरोजगारी, श्रमिक पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की कमी है। ये सभी समस्याएं खत्म होने जा रही हैं। 10 जून को नई सरकार बनने जा रही है, इसलिए एक नई शुरुआत होने जा रही है। लोगों ने वह सब किया जो उन्हें करना चाहिए था। अब प्रधानमंत्री रिटर्न गिफ्ट देंगे। प्रधानमंत्री विकास का मार्ग दिखाएंगे।"
स्थानीय भाजपा और बीजेडी नेताओं ने कहा कि लक्ष्मण बाग की जीत के पैमाने से वे भी स्तब्ध हैं। पटनागढ़ के विधायक और भाजपा नेता केवी सिंह देव ने कहा, "हमें यह तो पता था कि वह आगे हैं, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि वह नवीन पटनायक को हरा देंगे। यह अकल्पनीय है।"
वहीं, स्थानीय बीजेडी नेताओं ने कहा कि नवीन पटनायक ने शायद ही प्रचार किया क्योंकि लोगों के मन में यह आशंका थी कि पांच बार के मुख्यमंत्री हिंजिली जीतने के बाद सीट छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, "लोग पटनायक के प्रति उत्साहित नहीं थे। अगर वह केवल यहीं से चुनाव लड़ते तो जीत जाते। 2019 में उन्होंने हिंजिली और बिजेपुर से जीत हासिल की, लेकिन बिजेपुर को छोड़ दिया। यह कांटाबांजी में उनकी हार का एक बड़ा कारण था।"
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