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भारत में 80 फीसदी से ज्यादा किशोरों के खाने में पोषक तत्वों की कमी: यूनिसेफ

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 80 फीसदी से ज्यादा किशोर और किशोरियां ऐसी हैं जिनके आहार में पोषक तत्वों की कमी है और 10 फीसदी से भी कम लड़के और लड़कियां रोजाना फल तथा अंडे खाते हैं। किशोर...

भारत में 80 फीसदी से ज्यादा किशोरों के खाने में पोषक तत्वों की कमी: यूनिसेफ
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 31 Oct 2019 10:49 PM
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यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 80 फीसदी से ज्यादा किशोर और किशोरियां ऐसी हैं जिनके आहार में पोषक तत्वों की कमी है और 10 फीसदी से भी कम लड़के और लड़कियां रोजाना फल तथा अंडे खाते हैं। किशोर और किशोरियों के आहार में आयरन, फोलेट, विटामिन ए, विटामिन बी12 और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों की कमी है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट ऐडोलेसन्ट, डाइट एंड न्यूट्रीशन: ग्रोइंग वेल इन ए चेंजिंग वर्ल्ड, हाल में जारी की गई 'कॉम्प्रेहेंसिव नेशनल न्यूट्रीशन सर्वे (सीएनएनएस) की रिपोर्ट पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र ने 10 से 19 साल के बीच के शख्स को किशोर या किशोरी बताया है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक एच फोरे ने नीति आयोग में रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि यूनिसेफ के दृष्टिकोण से, हम किशोरों और किशोरियों के आहार, व्यवहार और सेवाओं में तीन प्रमुख हस्तक्षेपों का आग्रह करते हैं जो इस खराब पोषण के चक्र को तोड़ सकते हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग सभी किशोर और किशोरियों के आहार में पोषक तत्वों की कमी है और यह सभी तरह के कुपोषण का मुख्य कारक है। रिपोर्ट कहती है कि फलों और अंडों का सेवन रोजाना 10 प्रतिशत से कम लड़के और लड़कियां करते हैं। 25 प्रतिशत से अधिक किशोर और किशोरियां सप्ताह में एक बार भी हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करते हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, दूध के उत्पादों का सेवन प्रतिदिन 50 प्रतिशत किशोर और किशोरियां करती हैं। इसमें कहा गया है कि आय बढ़ने से खाने पर ज्यादा पैसा खर्च किया जाने लगा है जिसमें तला हुआ, जंक फूड, मिठाइयां ज्यादा खाई जाती हैं। आज भारत के हर हिस्से में 10 से 19 साल के किशोर या किशोरी को मधुमेह और दिल की बीमारी का खतरा है। लड़कों की तुलना में अधिक लड़कियों का कद छोटा है। 18 प्रतिशत लड़कों की तुलना में एनीमिया (रक्त की कमी) 40 प्रतिशत किशोरियों को प्रभावित करता है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि कुपोषण से निपटने के लिए व्यवहार परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है।

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