एनपीआर पर राज्यों के लिए अलग-अलग फॉर्मूला नहीं, प्रक्रिया को लेकर केंद्र का रुख लचीला
एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) पर बिहार सहित कुछ राज्यों के लिए अलग फॉर्मूला नहीं हो सकता। विभिन्न राज्य सरकारों को एक जैसे प्रारूप में एनपीआर को लागू करना होगा। जिन सवालों पर ऐतराज है, उनका...

एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) पर बिहार सहित कुछ राज्यों के लिए अलग फॉर्मूला नहीं हो सकता। विभिन्न राज्य सरकारों को एक जैसे प्रारूप में एनपीआर को लागू करना होगा। जिन सवालों पर ऐतराज है, उनका रास्ता निकालने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के संपर्क में है।
केंद्र की ओर से राज्यों को संकेत दिया गया है कि एनपीआर की प्रक्रिया को लेकर सरकार का रुख लचीला है। केंद्र विभिन्न राज्यों से अधिकारियों के स्तर पर संवाद में है। अप्रैल में प्रक्रिया शुरू होने से पहले केंद्र की ओर से राज्यों से दोबारा संवाद करके सबका भरोसा जीतने का प्रयास होगा।
बजट सत्र के दूसरे चरण में एनपीआर को लेकर केंद्र की ओर से सदन के पटल पर भी भरोसा दिया जा सकता है। साथ ही, सरकार एक बार फिर स्पष्ट करेगी कि एनपीआर का एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) से कोई लेना-देना नहीं है। सूत्रों ने कहा कि एनपीआर के जिन सवालों को लेकर बिहार सहित कुछ राज्यों ने सवाल उठाया है, उन पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ऐसे कदम उठाएगी, जिससे टकराव को टाला जा सके।
सूत्रों ने कहा कि सरकार सीएए को लेकर पीछे हटने के मूड में नहीं है लेकिन वह एनपीआर और एनआरसी को लेकर सभी तरह की शंकाओं को दूर करने के लिए संवाद को तैयार है। एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने राज्यों से सभी तरह के सुझाव मांगे हैं। पश्चिम बंगाल और केरल को लिखित रूप से स्पष्टीकरण दिया गया है। अन्य राज्यों की ओर से उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया गया है।
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केंद्र ने यह साफ किया है कि एनपीआर की किसी भी सूचना का एनआरसी के लिए इस्तेमाल नहीं होगा लेकिन आशंकाओं को दूर करने के लिए बातचीत के जरिए रास्ता निकाला जाएगा। सूत्रों ने कहा कि सबसे ज्यादा विरोध माता-पिता से जुड़ी जानकारी को लेकर है। इसे वैकल्पिक रखा गया है।
कुछ राज्यों का मानना है कि सवाल का जवाब न देने वालों को संदिग्ध सूची में रख दिया जाएगा और इसका बाद में गलत इस्तेमाल हो सकता हे। अधिकारी ने कहा कि इस तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं जिनका कोई तकनीकी आधार नहीं है लेकिन आशंकाओं को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
केंद्र का मानना है कि एनपीआर को लेकर ज्यादातर राज्यों का सैद्धांतिक विरोध नहीं है लेकिन मामले का राजनीतिकरण होने की वजह से कुछ अवरोध हो रहा है। इसे दूर करने का प्रयास हो रहा है जिससे तय समय पर प्रक्रिया शुरू की जा सके।
