Hindi Newsदेश न्यूज़Now the farmers' journey towards Karnal

अब किसानों का कूच करनाल की ओर

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों द्वारा विशाल जनसभा के बाद अब निगाहें हरियाणा के करनाल पर टिक गई हैं, जहां किसानों ने मंगलवार को जमा होने की बात कही है.हरियाणा सरकार ने करनाल में लोगों के जमा...

डॉयचे वेले दिल्लीMon, 6 Sep 2021 10:00 AM
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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों द्वारा विशाल जनसभा के बाद अब निगाहें हरियाणा के करनाल पर टिक गई हैं, जहां किसानों ने मंगलवार को जमा होने की बात कही है.हरियाणा सरकार ने करनाल में लोगों के जमा होने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसा किसानों को मंगलवार को वहां रैली आयोजित करने से रोकने के लिए किया गया है.28 अगस्त को किसानों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के बाद किसानों ने कुछ मांगें रखी थीं, जिन्हें पूरा करने के लिए 6 सितंबर तक का वक्त दिया गया था. किसानों की मांगों में एक आईएएस अफसर आयुष सिन्हा को बर्खास्त करने की बात भी शामिल है.28 अगस्त को आयुष सिन्हा का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह लाठीचार्ज से पहले सिपाहियों को किसानों का सिर फोड़ देने के निर्देश देते नजर आए थे.क्या हैं किसानों की मांग28 अगस्त को हरियाणा पुलिस ने करनाल में एक हाईवे को बंद करने वाले किसानों पर लाठियां बरसाई थीं. इस लाठीचार्ज में लगभग 10 लोग घायल हुए थे.किसानों की मांग है कि आयुष सिन्हा को बर्खास्त किया जाए और उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए.

हरियाणा सरकार ने एसडीएम के पद से हटाकर आयुष सिन्हा का ट्रांसफर राजधानी चंडीगढ़ में एक विभाग में कर दिया है. हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिन्हा का बचाव किया था और कहा था कि सख्त कार्रवाई जरूरी थी.एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, "हालांकि अफसर का शब्दों का चयन ठीक नहीं था लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती जरूरी थी.” किसानों के संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा' ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री द्वारा सिन्हा के समर्थन की आलोचना की है.मुजफ्फरनगर की विशाल रैलीभारत के कई हिस्सों में किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कुछ कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में रविवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में एक किसान रैली आयोजित हुई जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया.इस रैली के दौरान कानून-व्यवस्था की सुरक्षा के लिए आठ हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. रैली में राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने हिस्सा लिया.

टिकैत ने कहा, "ऐसी जनसभाएं देशभर में आयोजित की जाएंगी. हमें देश को बिकने से बचाना है. किसानों, मजदूरों और युवाओं को जीने का अधिकार होना चाहिए.”तस्वीरों मेंः धान से चित्रकारीउत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी नेताओं का आरोप है किसान नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं. यूपी बीजेपी के प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने कहा, "पंजाब और हरियाणा से राजनीतिक कार्यकर्ता इस रैली के लिए लाए गए थे. वे (आयोजक) किसानों को अपने राजीनितक हितों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.”स्थानीय पुलिस के मुताबिक मुजफ्फरनगर की रैली में पांच लाख से ज्यादा लोग आए थे.

भारत में किसानों का आंदोलन पिछले लगभग आठ महीनों से जारी है. यह आंदोलन अब तक का सबसे लंबा चलने वाला आंदोलन बन चुका है.क्यों आंदोलित हैं किसानपिछले सितंबर को लाए गए कानूनों में प्रावधान हैं कि किसान अपने उत्पाद मंडियों के बाहर सीधे ही किसी को भी बेच सकते हैं. सरकार का कहना है कि इससे किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिल पाएंगे.उधर किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं क्योंकि इससे उनकी मोलभाव की क्षमता कम होगी और बड़े उद्योगपतियों व निजी कंपनियों की ताकत बढ़ जाएगी.भारत के कुल जीडीपी का लगभग 15 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से आता है. और आधे से ज्यादा आबादी सीधे या अपरोक्ष रूप से आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर हैरिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स).

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