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आधार की वैधता: सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने ‘आधार’ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मंगलवार को नौ सदस्यीय संविधान पीठ गठित करने का निर्णय किया है। यह संविधान पीठ फैसला...

आधार की वैधता: सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता Tue, 18 Jul 2017 08:00 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने ‘आधार’ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मंगलवार को नौ सदस्यीय संविधान पीठ गठित करने का निर्णय किया है। यह संविधान पीठ फैसला करेगी कि क्या ‘निजता के अधिकार’ को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया जा सकता है।

कोर्ट ने यह आदेश ‘आधार’ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि ‘आधार’ योजना ‘निजता के मौलिक अधिकार’ का अतिक्रमण करती है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में यह पीठ बुधवार को बैठेगी और इस मुद्दे का फैसला करेगी। पीठ ने बहस के लिए समय भी निश्चित कर दिया है। भोजनावाकाश तक याचिकाकर्ता तथा उसके बाद चार बजे तक केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखेगी। सरकार का कहना है कि ‘निजता का अधिकार’ मौलिक अधिकार नहीं है। इसे सरकार विनियमित कर सकती है। 

जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि खड़क सिंह और एम.पी. शर्मा के मामलों में सुनाए गए दो फैसलों की सत्यता के पहलू का वृहद पीठ परीक्षण करेगी। इन फैसलों में कहा गया था कि ‘निजता का अधिकार’ मौलिक अधिकार नहीं है। खड़क सिंह प्रकरण में 1960 में छह सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया था जबकि एमपी शर्मा प्रकरण में 1950 में आठ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपनी व्यवस्था दी थी।

पीठ ने यह आदेश ‘आधार’ योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि ‘आधार’ योजना ‘निजता के मौलिक अधिकार’ का अतिक्रमण करती है। ये याचिकाएं 2015 में वृहद पीठ के पास भेजी गई थीं, जब तत्कालीन अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि शीर्ष अदालत द्वारा पहले सुनाए गए फैसलों में भिन्नता है। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे को हल करना होगा कि ‘निजता का अधिकार’ मौलिक अधिकार है या नहीं।

नौ जजों की पीठ का फैसला आने के बाद यह मामला पांच जजों की पीठ को भेजा जाएगा। पांच जजों की पीठ फिर से यह विचार करेगी कि ‘आधार’ से ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन होता है या नहीं।


 

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