इसरो के अभियानों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का होगा उपयोग, हटेगा कई रहस्यों से पर्दा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने भावी कार्यक्रमों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता(आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का इस्तेमाल करेगा। इससे भले ही अंतरिक्ष विज्ञानियों की कुछ नौकरियां कम हो जाएं, लेकिन इसरो...
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने भावी कार्यक्रमों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता(आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का इस्तेमाल करेगा। इससे भले ही अंतरिक्ष विज्ञानियों की कुछ नौकरियां कम हो जाएं, लेकिन इसरो इससे अंतरिक्ष अभियानों को न सिर्फ बेहतर तरीके से अंजाम देगा, बल्कि आंकड़ों का सटीक और तेज विश्लेषण कर अंतरिक्ष के रहस्यों से पर्दा हटाएगा।
अभी वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं
इसरो को उपग्रहों से बड़े पैमाने पर आंकड़े प्राप्त होते हैं, जिनके विश्लेषण का कार्य अभी वैज्ञानिकों से कराया जाता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। इस कार्य को अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए मशीनों एवं सॉफ्टवेयर से कम समय में और ज्यादा निपुणता से किया जाएगा। इसके लिए इसरो के डाटा केंद्रों में रोबोटिक्स उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना है।
आपदा सूचना, फसल निगरानी में फायदा
इसरो का कहना है कि इसका सबसे बड़ा फायदा रिमोट सेंसिंग उपग्रहों से मिलने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करने से होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से इनका विश्लेषण कर रियल टाइम इस्तेमाल संभव होगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएं, फसलों की निगरानी, संसाधनों की सूचनाएं एकत्र करना आदि कार्य बेहतर तरीके से किए जा सकेंगे।
गगनयान की फ्लाइटों में रोबोट जाएंगे
इसरो उपग्रहों के निर्माण एवं परीक्षणों में भी रोबोट का इस्तेमाल शुरू करेगा। चंद्रयान-2 में जिस रोवर को सतह पर उतारा जा रहा है, उसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डाली गई है। ताकि यह सतह से नमूने लेकर मौके पर उनका परीक्षण कर रिपोर्ट भेजे। रोवर में कोई खराबी आती है तो उसमें स्वत: मरम्मत की क्षमता होगी। इसके अलावा इसरो पहले ही घोषणा कर चुका है कि गगनयान की मानव रहित दो फ्लाइटो में भी रोबोट भेजे जाएंगे। आम तौर पर ऐसे परीक्षणों में जानवरों को भेजने का चलन है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल बढ़ने से हमें बहुत फायदा हो रहा है। हम अंतरिक्ष अभियानों में इंसानों की जगह रोबोट भेजेंगे और आकड़ों के विश्लेषण में भी उनका इस्तेमाल करेंगे।
के. सिवन, इसरो के अध्यक्ष