अब 24 सप्ताह में हो सकेगा गर्भपात, कानून में बदलाव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में संशोधन के बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसमें गर्भपात कराने के लिए अधिकतम सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने प्रस्ताव है।...
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में संशोधन के बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसमें गर्भपात कराने के लिए अधिकतम सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने प्रस्ताव है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि बिल को बजट सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। बिल में प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह तक अबॉर्शन कराने के लिए एक डॉक्टर की राय लेने की जरूरत का प्रस्ताव किया गया है, जबकि गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए दो डॉक्टरों की राय लेना जरूरी होगा।
विशेष तरह की महिलाओं के अबॉर्शन के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रस्ताव है। ऐसी महिलाओं को एमटीपी नियमों में संशोधन के जरिए परिभाषित किया जाएगा। इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी।
Govt of India: In a significant move ensuring reproductive rights to women, government increases limit on termination of pregnancy from 20 to 24 weeks; move aimed at discouraging informal termination of pregnancies and reducing the maternal mortality rate https://t.co/zaGhLnXen0
— ANI (@ANI) January 29, 2020
मेडिकल बोर्ड की जांच में मिली भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी। इसमें कहा गया है कि जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है, उनका नाम और अन्य जानकारियां उस वक्त कानून के तहत निर्धारित किसी खास व्यक्ति के अलावा किसी और को नहीं दी जाएंगी।
सरकार का कहना है कि यह महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है और इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दी गईं, जिनमें भ्रूण संबंधी विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से अधिक गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने और चिकित्सा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न हितधारकों और मंत्रालयों के साथ वृहद विचार-विमर्श के बाद गर्भपात कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।