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खोजः अब पानी पीकर ही नहीं, खाकर भी प्यास बुझा सकेंगे

पानी को पीकर ही नहीं, खाकर भी अब आप अपनी प्यास बुझा सकेंगे। वह भी अलग-अलग स्वाद के साथ। बेंगलुरु के बॉयोटेक्नोलॉजी शोधकर्ता रिचर्ड गोम्स ने प्राकृतिक पदार्थों की मदद से खाने वाले पानी के गोले बनाए...

खोजः अब पानी पीकर ही नहीं, खाकर भी प्यास बुझा सकेंगे
बेंगलुरु। श्राबोंती बागचीSun, 12 Aug 2018 07:25 AM
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पानी को पीकर ही नहीं, खाकर भी अब आप अपनी प्यास बुझा सकेंगे। वह भी अलग-अलग स्वाद के साथ। बेंगलुरु के बॉयोटेक्नोलॉजी शोधकर्ता रिचर्ड गोम्स ने प्राकृतिक पदार्थों की मदद से खाने वाले पानी के गोले बनाए हैं।

यह पानी का गोला एक पारदर्शी झिल्ली में होगा। जिसे आप गोलगप्पे की तरह खा सकेंगे। यह शोध अभी शुरुआती दौर में हैं। शोधकर्ता गोम्स और उनकी टीम ने प्लास्टिक बोतल का विकल्प तैयार करने के मकसद से यह पानी का गोला बनाया है। गौरतलब है कि जिस तकनीक का इस्तेमाल कर गोम्स ने यह पानी का गोला बनाया है वह पहली बार नहीं है। गोम्स ने स्पष्ट किया कि हम किसी बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं।
 
50 मिलीलीटर तक पानी होगा
जैविक रूप से विघटित हो जाने वाले इस गोले में 50 मिलीलीटर तक पानी होगा। गोम्स और उनकी टीम इस गोले को और बड़ा बनाने की तैयारी कर रही है। जिससे की इस गोले में 100 मिलीलीटर तक पानी आ सके। इससे व्यावसायिक रूप से इसे बनाने में आसानी होगी। गोम्स ने बताया कि हम यहां एक मशीनीकृत समाधान विकसित करने के लिए इंजीनियरों के साथ काम कर रहे हैं। जो न सिर्फ मांग पर गोले को बनाएंगे बल्कि कच्चे माल पर भी काम करेंगे। 

लंदन की कंपनी ने बनाया था ‘ओहो’ 
पिछले साल लंदन की एक स्टार्टअप कंपनी स्किपिंग रॉक्स लैब ने एक ऐसा पदार्थ विकसित किया था जिसमे बुलबुले का आकार देकर पानी भरा जा सकता है। इस बुलबुले में 250 मिलीलीटर तक पानी होता है। इसे ‘ओहो’ नाम दिया गया। इस ओहो नामक खाने वाले पानी को मैराथन जैसे कार्यक्रमों में बेचा भी जाता है। 
 
 ऐसे बनाते हैं
पानी और कैल्शियम लवण के घोल को एक आइस ट्रे में डालकर गोले जैसा जमाया जाता है। इसके बाद इन गोलों को शैवालीय जेल के एक कटोरे में डाल दिया जाता है। इससे बर्फ के गोलों के चारों तरफ एक पारदर्शी परत जम जाती है। जिससे बर्फ के पिघलने के बाद भी पानी पारदर्शी गोले में बना रहता है। 

एक हफ्ते तक रखा जा सकेगा
अगर आप इस पानी के गोले को फ्रिज में रखते हैं तो यह एक हफ्ते तक सुरक्षित रहेगा। अन्यथा यह तीन दिनों तक ही चलेगा। गोम्स ने बताया कि अभी गोले पर जो आवरण होगा वह बिना स्वाद वाला होगा। हम बाद में इसमें फलों के रस, स्वादयुक्त पानी और इनर्जी ड्रिंक्स भी डालेंगे। गोम्स इन पानी के गोलों को कैफे और सार्वजनिक कार्यक्रमों में देना चाहते हैं। वह दूसरों को इसे तैयार करने की विधि बताने को भी तैयार हैं। साथ ही इसकी मांग होने पर इसके लिए एक मशीन बनाकर इन्हें बांटने की भी योजना है।  

जीवविज्ञानी हैं रिचर्ड गोम्स
इस खाने वाले गोले को बनाने वाले रिचर्ड गोम्स बेंगलुरु के वर्कबेंच प्रोजेक्ट में जीवविज्ञानी हैं। गोम्स ने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है। गोम्स शैवाल से जैव ईंधन बनाने पर भी काम कर चुके हैं। रिचर्ड आज के सबसे बड़े पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए इंजीनियरिंग और उद्यमिता की शक्ति में विश्वास करते हैं।   

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