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उत्तर पूर्व में एनडीए ने दोगुनी की अपनी सीटें, संभावित 15 सीटों पर किया कब्जा

उत्तर-पूर्व के राज्यों पर विशेष ध्यान देने की भाजपा की नीति और इन छोटे राज्यों के चुनावों को भी पूरी शिद्दत के साथ लड़ने की भाजपा की रणनीति रंग दिखा रही है। इन सात राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने...

उत्तर पूर्व में एनडीए ने दोगुनी की अपनी सीटें, संभावित 15 सीटों पर किया कब्जा
विशेष संवाददाता,नई दिल्लीThu, 23 May 2019 07:51 PM
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उत्तर-पूर्व के राज्यों पर विशेष ध्यान देने की भाजपा की नीति और इन छोटे राज्यों के चुनावों को भी पूरी शिद्दत के साथ लड़ने की भाजपा की रणनीति रंग दिखा रही है। इन सात राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस चुनाव में 2014 के मुकाबले सीटों की संख्या दोगुनी कर ली है।

उत्तर-पूर्व के आठ राज्यों में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। इसमें सबसे अधिक 14 सीटें असम में हैं। अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में दो-दो सीटें, जबकि मिजोरम और नगालैंड में एक-एक सीटे हैं। पिछले आम चुनाव में भाजपा ने असम में सात और अरुणाचल प्रदेश में एक सीट जीती थी। वहीं, इस बार असम में 9 सीटों, अरुणाचल प्रदेश व त्रिपुरा की दोनों सीटें, मणिपुर और मिजोरम में एक-एक एक साथ इस बार भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ संभावित सीटों की संख्या को बढ़ाकर 15 कर लिया है।

खास बात ये है कि इसमें से त्रिपुरा और कांग्रेस पिछले चुनाव तक कांग्रेस का गढ़ समझे जाते थे। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, पांच साल पहले केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा ने उत्तर-पूर्व को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए काम करना शुरू किया था। इसके लिए अलग से मंत्रालय बनाने के साथ-साथ कई बार राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों का आयोजन दिल्ली की जगह उत्तर-पूर्व के राज्यों में किया गया था।

इसके अलावा, उत्तर-पूर्व में अधोसंरचना विकास पर भी एनडीए सरकार के कार्यकाल में विशेष ध्यान दिया गया। इससे उत्तर-पूर्व के लोगों में भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा। इस विश्वास के भरोसे भाजपा ने त्रिपुरा और मणिपुर जैसे राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफलता हासिल की। इन राज्यों में सरकार होने का फायदा भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिल रहा है। पिछले पांच सालों के दौरान प्रधानमंत्री ने पूवोर्त्तर के कई दौरे किए। केंद्रीय मंत्रियों को भी वहां भेजा गया।

इसके अलावा, उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम में पार्टी ने कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार हेमंत बिस्वा को अपने साथ जोड़कर कांग्रेस को और कमजोर कर दिया। इसका फायदा पहले उसे विधानसभा चुनावों और अब लोकसभा चुनाव में देखने को मिल रहा है। खास बात ये है कि असर में भाजपा को एनआरसी का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी। जबकि, रूझानों की मानें तो इन मुद्दे का भाजपा की सीटों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा। पिछली बात की तुलना में इस बार एनडीए को यहां दो सीटों का फायदा होता नजर आ रहा है।

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