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निर्भया की मां बोलीं, एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो ही जाए

मध्यप्रदेश के इंदौर पहुंची निर्भया की माता आशादेवी ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष में उन्हें कई बार हताशा-निराशा का सामना करना पड़ा है। वे व्यवस्था से अपील करती है कि आगामी...

 निर्भया की मां बोलीं, एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो ही जाए
एजेंसी,इंदौरMon, 27 Jan 2020 10:24 AM
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मध्यप्रदेश के इंदौर पहुंची निर्भया की माता आशादेवी ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष में उन्हें कई बार हताशा-निराशा का सामना करना पड़ा है। वे व्यवस्था से अपील करती है कि आगामी एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो। आपको बता दें कि दिल्ली की अदालत ने निर्भया केस के सभी दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया है जिसके मुताबिक, सभी को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी की सजा दी जानी है।

आशा देवी इंदौर में गांधी प्रतिमा चौराहे पर एक निजी व्यावसायिक समूह द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में ध्वजारोहण करने पहुंची थी। उन्होंने ध्वजारोहण के बाद संवाददाताओं से निर्भया के दोषियों को माफ किए जाने को लेकर उठ रही आवाजों से जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुये कहा कि बीते 7 वर्ष से वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रही है।

उन्होंने कहा क्रूरतम अपराध सामूहिक दुष्कर्म के बाद मौत से लड़ती उनकी बेटी की आखिर क्या गलती थी। उन्होंने कहा कि जिंदगी की जंग लड़ती उनकी बेटी को उन्होंने तड़पते-मरते हुए देखा है। ऐसी वेदना से ईश्वर सबको दूर रखें। आशा देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीते 7 वर्षों में कोई मानव अधिकार का नुमाइंदा उनसे नहीं मिला है। उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है। अब आगामी एक फरवरी को सभी दोषियों को फांसी मिले, इससे निर्भया को इंसाफ मिलेगा।

निर्भया के गुनहगारों की पैंतरेबाजी जारी

निर्भया के गुनहगारों की पैंतरेबाजी लगातार जारी है। फांसी की सजा पाए दोषियों में से एक ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध किया है। दोषी मुकेश कुमार सिंह (32) की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने यह अर्जी दायर की है। इससे पहले दिन में दिल्ली की एक अदालत ने दोषियों के वकील की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अर्जी पर आगे किसी दिशा-निर्देश की आवश्यकता नहीं है। वकील ने याचिका में कहा था कि जेल के अधिकारी वे दस्तवेज मुहैया नहीं करा रहे हैं जो दया तथा सुधारात्मक याचिकाएं दायर करने के लिए जरूरी हैं।  

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