निर्भया के दोषियों को फांसी: जल्लाद का अंगूठा और जेलर का रूमाल, इशारों में पूरी होती है सारी प्रक्रिया
निर्भया गैंग रेप के चारों दोषियों को कुछ ही देर में फांसी दे दी जाएगी। जब जल्लाद और जेल प्रशासन मिलकर फांसी की पूरी प्रकिया को अंजाम देगा, उस समय कोई किसी से बात नहीं करता है। फांसी के वक्त लोग सिर्फ...
निर्भया गैंग रेप के चारों दोषियों को कुछ ही देर में फांसी दे दी जाएगी। जब जल्लाद और जेल प्रशासन मिलकर फांसी की पूरी प्रकिया को अंजाम देगा, उस समय कोई किसी से बात नहीं करता है। फांसी के वक्त लोग सिर्फ इशारों में बात करते हैं।
कैदियों को फंदा पहनाने के बाद जल्लाद जेलर को हाथ से इशारा करता है और उधर जेलर लीवर खींचने का इशारा देता है। इस दौरान जेलर के हाथ में रूमाल होता है। तय समय के हिसाब से जेलर रूमाल दिखाता है। जल्लाद के द्वारा लीवर खींचते ही तख्ता हट जाता है।
कैदियों के हाथ और पैर बंधे होते हैं। लीवर खींचने के 15 मिनट में मर जाता है। आधे घंटे तक डॉक्टर देखते हैं। इसके बाद सीपाही बॉडी उतारता है। इसके बाद जल्लाद फंदा निकाल लेता है। मेहनताना लेता है और वहां से घर चला आता है।
मौसम के हिसाब से फांसी का समय तय होता है। चारों दोषियों को एक साथ भी दी जा सकती है फांसी। नहीं तो दो-दो कर दी जाएगी। तिहाड़ जेल के फांसी घर के तख्ते के आकार के हिसाब से तय होगा कि एक साथ दी जाएगी या फिर अलग-अलग।
एक दिन पहले डमी फांसी की ट्रायल होती है। इसके बाद फंदा खोल लिया जाता है। उसी फंदे को फांसी में उपयोग किया जाता है। जैसे ही दोषी आते हैं, तो पहले पैर बांध दिया जाता है। फिर फंदा लगाया जाता है। इसके बाद चेहरे को ढंक दिया जाता है।