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अब बीजेपी के हुए नीरज: जब मोदी लहर में मिली थी हार, तब अखिलेश ने दिखाया था 'बड़ा दिल'

यूपी की राजनीति में एक बार फिर से सपा का कुनबा कमजोर हुआ है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और प्रखर समाजवादी नेता नीरज शेखर (Neeraj Shekhar) ने सपा का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का...

अब बीजेपी के हुए नीरज: जब मोदी लहर में मिली थी हार, तब अखिलेश ने दिखाया था 'बड़ा दिल'
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 16 Jul 2019 08:21 PM
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यूपी की राजनीति में एक बार फिर से सपा का कुनबा कमजोर हुआ है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और प्रखर समाजवादी नेता नीरज शेखर (Neeraj Shekhar) ने सपा का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। उत्तर प्रदेश के बलिया से राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने सोमवार को पद और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दिया और मंगलवार को औपचारिक तौर पर बीजेपी में शामिल हो गए। नीरज शेखर का समाजवादी पार्टी से अलग होना सपा के लिए झटका है, जबकि बीजेपी के लिए फायदा। 

नीरज शेखर ने सोमवार को राज्यसभा और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दिया। इसके बाद से ही कायास लगाए जाने लगे थे कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, जिसकी पुष्टि खुद उन्होंने सोमवार को औपचारिक ज्वाइनिंग से दे दी। बताया जा रहा है कि वह पिछले काफी समय से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहे थे। बीजेपी उन्हें उनकी सीट पर होने वाले उपचुनाव में राज्यसभा भेज सकती है। इससे राज्यसभा में भाजपा की एक सीट की वृद्धि हो जाएगी।

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50 वर्षीय नीरज शेखर का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया, जब उनका कार्यकाल एक साल बचा था। वह साल 2014 से राज्यसभा के सदस्य थे और 25 नवंबर 2020 को रिटायर होने वाले थे। इस्तीफा देने के बाद अब दोबारा चुनाव कराए जाएंगे और जिस तरह से बीजेपी के पास उत्तर प्रदेश में बहुमत हासिल है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि बीजेपी आसानी से यह उपचुनाव जीत लेगी और राज्यसभा में एक सीट बीजेपी बढ़ा सकती है। 

सूत्रों की मानें तो नीरज शेखर के समाजवादी पार्टी से इस्तीफे की पटकथा लोकसभा चुनाव 2019 के वक्त ही लिख दी गई थी। लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर अपने परिवार की परंपरागत सीट बलिया से टिकट की मांग कर रहे थे, पर समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। टिकट न मिलने की वजह से नीरज शेखर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहे थे। हैरान करने वाली बात है कि अखिलेश यादव के करीबी दोस्तों में जिन नेताओं का नाम आता है, उनमें नीरज शेखर भी शामिल थे, मगर लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद ही दोनों में बातचीत भी बंद हो गई थी। 

नीरज शेखर ने अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के देहांत के बाद 2007 में बलिया से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी। साल 2009 में नीरज शेखर ने फिर यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि, साल 2014 में मोदी लहर में जीतने में असफल रहे थे। जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया था। बता दें कि बलिया उनकी परंपरागत सीट है। 

दरअसल, मुलायम सिंह और चंद्रशेखर के बीच काफी गहरी दोस्ती थी। जब भी चंद्रशेखर बलिया से चुनाव लड़े सपा ने कभी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा, यहां तक कि मुलायम सिंह उनके पक्ष में प्रचार भी करते थे। जब चंद्रशेखर का निधन हुआ तो उसके बाद भी सपा ने उनके बेटे नीरज को अपना समर्थन दिया और जिताया। जब साल 2014 में नीरज की हार हुई तब अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें राज्यसभा भेजा।

बलिया लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम चंद्रशेखर हमेशा विजित रहे। उनके देहांत के बाद भी नीरज शेखर ने उनकी विरासत को संभाला और 2007 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की और साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जीत का परचम लहराया था। मगर दशकों से चंद्रशेखर परिवार की परंपरागत सीट रही बलिया लोकसभा सीट पर सेंधमारी साल 2014 में हुई। मोदी लहर में नीरज शेखर बलिया की सीट नहीं बचा पाए और दशकों बाद यह सीट भाजपा के खाते में गई।
 

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