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नीपा वायरसः 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है मरीज, जानें क्या है लक्षण, कैसे करें बचाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में नीपा वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में इसके मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। चमगादड़...

नीपा वायरसः 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है मरीज, जानें क्या है लक्षण, कैसे करें बचाव
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 21 May 2018 06:31 PM
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में नीपा वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में इसके मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। चमगादड़ और सुअर से फैलने वाली इस जानलेवा बीमारी फिलहाल लाइलाज है। संक्रमण के बाद ठीक से देखभाल नहीं हुई या बीमारी के लक्षणों को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में नीपा का मरीज कोमा में जा सकता हैं और उसकी मौत तक हो सकती है।

चमगादड़ और सुअर से फैलता है संक्रमण

फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिये नीपा वायरस तेजी से फैलता है। इसलिए इससे होने वाली बीमारी का खतरा वहां ज्यादा है जहां इनकी संख्या अधिक है। इसका संक्रमण जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है। 

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‘फ्रूट बैट’ सबसे खतरनाक

फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ इस संक्रमण को तेजी फैलाते हैं। इसकी वजह यह है कि यह एक मात्र स्तनधारी है जो उड़ सकता है। पेड़ पर लगे फलों को वह खाकर संक्रमित कर देता है। जब यह पेड़ से गिरे इन संक्रमित फलों को इनसान खा लेता है तो वह बीमारी की चपेट में आ जाता है। केरल में नीपा वायरस से संक्रमित एक ही परिवार के तीन लोगों को पेड़ से गिरे फल को खाते देखा गया था। 

1988 में पहली बार वायरस का पता चला

मलेशिया में शोध कर रहे डॉ़  बिंग चुआ ने पहली बार 1998 में इस बीमारी का पता लगाया। 

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मलेशिया के नीपा में पहला मामला सामने आया

मलेशिया के कांपुंग सुंगई नीपा गांव में सबसे पहले इस वायरस के संक्रमण का मामला सामने आया था इसलिए इसे नीपा वायरस का नाम दिया गया। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1998 में नीपा गांव के लोग पहली बार इस वायरस के संक्रमण से पीड़ित हुए थे। संक्रमित होने वाले ज्यादातर ग्रामीण सुअर पालन करते थे।

बांग्लादेश और भारत में पहले भी फैला था संक्रमण

2004 में बांग्लादेश में भी नीपा वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए। यहां चमगादड़ों के खाए हुए खजूर खाने की वजह से लोग बीमारी की चपेट में आए। वर्ष 2001 और 2007 में बांग्लादेश की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के इलाके में भी संक्रिमत फल खाने से 66 मामले सामने आए जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई थी।

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लक्षण
-सिर में लगातार दर्द रहना
-तेज बुखार, सांस में तकलीफ
-चक्कर आना
-धुंधला दिखना
-एनसेफलाइिस जैसे अन्य लक्षण

सही देखभाल ही इलाज

-फिलहाल नीपा वायरस से संक्रमण का कोई इलाज नहीं है और न ही इसकी रोकथाम के लिए कोई टीका मौजूद है। मरीज 24-48 घंटे में कोमा जा सकता है और मरीज की मौत तक हो सकती है। इसलिए सही उपचार और देखभाल से ही लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है।

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ऐसे बचें

-पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं
-जानवारों के खाए जाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें
-जहां चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें
-संक्रमित रोगी और जानवरों के पास नहीं जाएं

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