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टेप विवाद में नीरा राडिया को राहत, CBI से मिली क्लीन चिट, जांच भी बंद

सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी है कि टेप हुई चर्चाओं में कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आई है। साथ ही बताया है कि टेप में शामिल बातचीत के लेकर जारी 14 शुरुआती जाचों को भी बंद कर दिया गया है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 21 Sep 2022 01:36 PM
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टेप विवाद में नीरा राडिया को राहत, CBI से मिली क्लीन चिट, जांच भी बंद

टेप विवाद में लॉबिस्ट नीरा राडिया को बड़ी राहत मिली है। मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी CBI ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी है कि टेप हुई बातचीत में कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आई है। साथ ही बताया है कि टेप में शामिल बातचीत के लेकर जारी 14 शुरुआती जाचों को भी बंद कर दिया गया है।

एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच को साल 2015 में कोर्ट की तरफ से दिए गए जांच के आदेश के से जुड़ी रिपोर्ट भी जमा किए जाने की जानकारी दी। मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुनवाई कर रही थी।

भाटी ने कोर्ट को बताया, 'जांच के दौरान कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आई है। जांच के नतीजों से जुड़ी एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल कर दी गई और संबंधित विभागों को भी भेजी गई है।' कोर्ट इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी अगली सुनवाई से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।

अक्टूबर 2013 में शीर्ष न्यायालय ने एजेंसी को जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने 5 हजार 800 से ज्यादा टेप की गई चर्चाओं की जांच के बाद 14 मुद्दों की पहचान की थी। सरकार ने साल 2008 से 2009 के बीच कर चोरी की जांच के चलते राडिया की बातों को इंटरसेप्ट किया था। इसके बाद सीबीआई ने संभावित अपराधों का पता लगाने के लिए 14 शुरुआती जांचें शुरू की थीं। हालांकि, पर्याप्त सबूतों के अभावों में इन्हें बंद कर दिया गया है।

केंद्रीय एजेंसी ने अपनी शुरुआती जांचों में टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और यूनीटेक जैसे कई बड़े नामों को शामिल किया था।

इसके बाद कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। उद्योगपति रतन टाटा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि बातचीत को मीडिया में लीक नहीं किया जाना चाहिए। वहीं, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी CPIL की तरफ से दी गई याचिका में ट्रांसक्रिप्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी।

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