पटना के 'आसरा गृह' ने बिहार में दिए एक और ‘मुजफ्फरपुर कांड’ के संकेत
पटना के नेपाली नगर में बेसहारा महिलाओं के लिए अनुमन्या ह्यूमेन रिसोर्स फाउंडेशन की तरफ से चलाए जा रहे आसरा गृह में दो संदिग्ध मौतों को लेकर राजीव नगर पुलिस थाने की जांच ने राज्य में एक और बड़े...
पटना के नेपाली नगर में बेसहारा महिलाओं के लिए अनुमन्या ह्यूमेन रिसोर्स फाउंडेशन की तरफ से चलाए जा रहे आसरा गृह में दो संदिग्ध मौतों को लेकर राजीव नगर पुलिस थाने की जांच ने राज्य में एक और बड़े सेक्स स्कैंडल के संकेत दिए हैं।
2 महीने पहले मुजफ्फरपुर कांड ने हिलाया
अभी दो महीने भी नहीं बीता है जब मुजफ्फरपुर के आश्रय गृह में 7 से 17 वर्ष की 30 से ज्यादा नाबालिगों के साथ यौन शोषण के सनसनीखेज खुलासे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। शुक्रवार को हुई दो संदिग्ध मौतों के बाद रविवार को पटना पुलिस की टीमें, अपराध जांच विभाग (सीआईडी) और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से आसरा गृह में रहनेवाली 73 महिलाओं की जांच की। सोमवार को तीन अन्य को भी गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया।
आनन फानन में एनजीओ ने किया अंतिम संस्कार
बिना पुलिस को सूचित किए एनजीओ के अधिकारियों ने आनन-फानन में उनमें से एक का अंतिम संस्कार भी कर दिया। हालांकि, जब पुलिस को पता चला तो उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के शव गृह में रखे दूसरे शव की एक और ऑटोप्सी रिपोर्ट कराने का फैसला किया है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी के बारे में पूरी स्थिति साफ हो सके।
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इस घटना को लेकर फिलहाल दो लोग जिनकी पहचान एनजीओ के मालिक मनीष दयाल और कॉर्डिनेटर चिरांतन कुमार के तौर पर हुई है उन्हें तथ्यों को छिपाने और लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आश्रय गृह में नहीं चल रहा था सबकुछ ठीक ठाक
इस साल मई के महीने से तीन मंजिला इमारत में चलाया जा रहा यह आश्रय गृह अब कई गलत कारणों के चलते सुर्खियों में बना हुआ है। पड़ोसी और स्थानीय लोगों ने मीडिया के सामने इसके ऊपर गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है। जिससे इन बातों के संकेत मिलते हैं इस आश्रय गृह में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा था।
आधी रात लड़कियो को ले जाया जाता था बाहर
एक पड़ोसी ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया- “हम बराबर देखते थे कि आश्रय गृह के सामने आधी रात और तड़के एसयूवी आकर खड़ी रहती थी। कई बार हमने देखा कि आश्रय गृह की लड़कियों को देर रात कार में बिठाकर बाहर ले जाया जाता था और तड़के उसे वापस लाकर छोड़ दिया जाता था।”
रात को आश्रय गृह से आती थी चीखने की आवाज
एक अन्य पड़ोसी ने बताया कि वह वे यहां पर जोर की चिल्लाहट या फिर चीखने की आवाज सुनते थे जिससे ऐसा लगता था कि उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है। आश्रय गृह के बिल्कुल विपरीत में रहनेवाले एक शख्स ने बताया- “अधिकारी प्राय: स्थानीय लोगों से दूर रखते थे और कभी उन्हें मिलने की इजाजत नहीं देते थे।”
कुछ दिन पहले ही चार महिलाओं ने वहां के भागने का प्रयास किया था लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो पायी क्योंकि वहां पर गार्ड ने उन्हें भागते हुए पकड़ लिया। कई कारणों के चलते एनजीओ के अधिकारियों ने पुलिस की इस घटना की कोई सूचना नहीं दी।
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