NGT: वैष्णो देवी के बाद अब अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार, श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण कश्मीर में हिमालय में स्थित पवित्र गुफा तक जाने वाले तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए आज अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार लगाई।...
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण कश्मीर में हिमालय में स्थित पवित्र गुफा तक जाने वाले तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए आज अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार लगाई। हरित अधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से साल 2012 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये बोर्ड से पूछा कि इन वर्षों में उसने इस बारे में क्या कदम उठाए हैं। एनजीटी ने रिपोर्ट दिसंबर के पहले हफ्ते में पेश करने को कहा है।
अधिकरा के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, मंदिर के नजदीक आपने दुकानें खोलने की इजाजत दे रखी है। शौचालय की कोई उचित सुविधा नहीं है। क्या आप जानते हैं कि महिलाओं के लिए यह कितनी परेशानी की बात है। आपने तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई। आप तीर्थयात्रियों के बजाए व्यावसायिक गतिविधियों को तवज्जो दे रहे हैं। यह गलत है। मंदिर की पवित्रता का खयाल रखा जाना चाहिए।
NGT suggests that the area around Amarnath Shrine cave should be declared as 'silence zone' to prevent avalanches, throwing offerings/coconuts near the cave should be stopped. NGT also asks, 'why SC orders of 2012 for protection of the area haven't been followed?'
— ANI (@ANI) November 15, 2017
हरित अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है जो तीर्थयात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी कार्ययोजना पेश करेगी। पीठ ने कहा कि समिति को जांच के बाद उचित मार्ग, गुफा के ईदगिर्द के स्थल को साइलेंट जोन घोषित करने और मंदिर के निकट स्वच्छता बनाए रखने जैसे पहलुओं पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
समिति से इलाके में इको-फ्रेंडली शौचालय के निर्माण के बारे में विचार करने के लिये भी कहा गया है। अधिकरण ने श्राइन बोर्ड से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2012 के निर्देशों के अनुपालन संबंधी स्थिति रिपोर्ट दिसंबर के पहले हफ्ते में पेश की जाए। अधिकरण ने यह निर्देश पर्यावरण कार्यकर्ता गौरी मौलेखी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये।
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