2018:जश्न के साथ मना नया साल,जानें क्यों 1 जनवरी को होता है सेलेब्रेशन
पूरी दुनिया आज धूमधाम से नए साल का जश्न मना रही है। हर कोई नई उम्मीदें और ऊर्जा के साथ नए साल का स्वागत रह रहे हैं। भारत के हर शहर में न्यू ईयर का आगाज रंगीन सपनों के साथ हुआ। आतिशबाजी और रोशनी के...
पूरी दुनिया आज धूमधाम से नए साल का जश्न मना रही है। हर कोई नई उम्मीदें और ऊर्जा के साथ नए साल का स्वागत रह रहे हैं। भारत के हर शहर में न्यू ईयर का आगाज रंगीन सपनों के साथ हुआ। आतिशबाजी और रोशनी के साथ लोगों ने साल 2018 का स्वागत किया। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गोवा, हिमाचल, बैंगलुरू समेत भारत के अन्य शहरों में रात के बारह बजते ही आतिशबाजी से आकाश रौशन हो उठा।
लोगों ने हैप्पी न्यू ईयर के साथ एक दूसरे को विश किया और नए साल के नए सफर के लिए शुभकामनाएं दी। आज हर धर्म और जात के लोग न्यू ईयर सेलेब्रेट करते हैं, लेकिन अगर कैलेंडर की बात करें तो सभी धर्मों में अलग-अलग दिन नया साल के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में बैशाखी के दिन नया साल होता है, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन, गुजरात में नया साल दीपावली के दूसरे दिन और इस्लामिक कैलेंडर में नया साल मुहर्रम के दिन मनाया जाता है। लेकिन फिर भी अगर बड़ी संख्या में बात करें तो एक जनवरी ऐसा दिन है जब हर कोई पुराना सब कुछ भूलकर जात-पात धर्म से ऊपर उठकर नया साल सेलेब्रेट करते हैं।
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इस देश ने सबसे पहले मनाया नया साल
दुनिया के छोटे से देश सामोआ ने सबसे पहले नववर्ष मनाया। भारत में 31 दिसंबर की शाम जब चार बज रहे थे, तब दुनिया के दूसरे छोर पर स्थित छोटा सा देश सामोआ नववर्ष का स्वागत कर रहा था। यहां समय अलग होता है। इसके साथ ही टोंगा, क्रिसमस द्वीप व किरिबाती में भी नववर्ष का जश्न मनाया गया। इसके बाद करीब साढ़े चार बजे न्यूजीलैंड के ऑकलैंड ने नववर्ष का स्वागत किया। यहां के बाद ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूके में न्यू ईयर सेलेब्रेट हुआ।
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क्यों आज ही के दिन मनाया जाता है नया साल
1 जनवरी से शुरू होने वाले कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है। साल 1582 के अक्टूबर से इसकी शुरुआत हुई। इस कैलेंडर को ईसाईयों ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए बनाया। बता दें कि इस कैलेंडर से पहले 10 महीनों वाला रूस का जूलियन कैलेंडर इस्तेमाल में था, लेकिन इस कैलेंडर में कई गलतियां होने के कारण क्रिसमस की तारीख हर साल अलग-अलग दिन आता था।
इस कैलेंडर को 24 फरवरी को राजकीय आदेश से औपचारिक तौर पर अपना लिया गया। यह राजकीय आदेश पोप ग्रिगोरी ने दिया था, इसीलिए उन्हीं के नाम पर इस कैलेंडर का नाम ग्रेगोरियन रखा गया और 15 अक्टूबर 1582 को इसे लागू किया गया। यहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर आज पूरी दुनिया में मशहूर है और इसी में मौजूद पहले दिन यानी 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है।