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New Traffic Fines Effect: जिस पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को बनाने में लगते थे 5 मिनट, अब घटों का इंतजार

नए मोटर व्हीकल ऐक्ट के बढ़े जुर्माने व ट्रैफिक और आरटीओ विभाग की सख्ती को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के केन्द्रों पर लंबी कतार लगने लगी है। वैसे तो आरटीओ द्वारा अधिकृत तीनों केन्द्रों का...

 New Traffic Fines Effect: जिस पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को बनाने में लगते थे 5 मिनट, अब घटों का इंतजार
गोरखपुर | वरिष्ठ संवाददाताWed, 11 Sep 2019 09:02 AM
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नए मोटर व्हीकल ऐक्ट के बढ़े जुर्माने व ट्रैफिक और आरटीओ विभाग की सख्ती को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के केन्द्रों पर लंबी कतार लगने लगी है। वैसे तो आरटीओ द्वारा अधिकृत तीनों केन्द्रों का पता अलग-अलग है लेकिन सभी ने आरटीओ कार्यालय के बाहर ही ठिकाना बना रखा है। केन्द्र संचालक तय शुल्क से तीन गुने तक वसूली कर रहे हैं।

आरटीओ कार्यालय के मुताबिक दो पहिया और चार पहिया वाहनों का प्रदूषण जांचने के लिए तीन एजेंसियां शिवमूर्ति सेवा संस्थान, जगन्नाथपुर, ममता वेलफेयर सोसाइटी, हुमांयूपुर दक्षिणी और अर्पणा प्रदूषण जांच केन्द्र, सिविल लाइंस अधिकृत हैं। अलग-अलग स्थानों पर प्रदूषण जांचने के लिए अधिकृत केन्द्र संचालकों ने आरटीओ अफसरों के संरक्षण में कार्यालय के ईद-गिर्द ही ठिकाना बना लिया है।

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पेट्रोल गाड़ियों का शुल्क 30 रुपये तो वहीं डीजल वाहनों का शुल्क 40 रुपये निर्धारित है। अर्पणा प्रदूषण जांच केन्द्र द्वारा पेट्रोल गाड़ियों का शुल्क 80 रुपये और डीजल वाहनों से 120 रुपये की लिए जा रहे हैं। केन्द्र पर गाड़ियों के शुल्क वसूल रहे अतुल पांडेय ने बताया कि वाहनों की जांच के लिए 80 और 120 रुपये शुल्क निर्धारित है। इतनी रकम की वसूली की जा रही है। पेट्रोल गाड़ी का प्रदूषण सर्टिफिकेट लेने वाले नंदा नगर निवासी अजय पांडेय ने बताया कि कागज पर 30 रुपये दर्ज है, वसूल रहे हैं 80 रुपये। कम से कम शुल्क को लेकर एक बोर्ड तो लगा देना चाहिए।

ऑनलाइन हो रही है जांच : वाहन का प्रदूषण नियंत्रण में है या नहीं इसकी जांच ऑनलाइन हो रही है। जांच मशीन परिवहन विभाग के सर्वर से जुड़ी हुई है। प्रदूषण की मात्रा की जांच ऑनलाइन हो रही है, इसमें स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता है।

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तीन घंटे बाद आया नंबर 
आरटीओ कार्यालय के बाहर प्रदूषण सर्टिफिकेट के लिए लंबी कतार लग रही है। सोमवार को सुबह दस बजे से शाम 8 आठ बजे तक गाड़ियों की लंबी कतार लगी रही। शाम 6 बजे गाड़ियों की कतार डीएम आवास के करीब तक पहुंच गई थी। बिछिया कैंप निवासी सुरेन्द्र गौड़ को कार का प्रदूषण सर्टिफिकेट लेना था। उनका नंबर 3 घंटे बाद आया। कतार तोड़कर जल्दी करने वालों से लोगों की नोकझोंक भी हुई।
 
फोटो कॉपी नहीं, असली कागजात साथ रखें 
डीएल, बीमा, आरसी पेपर या प्रदूषण प्रमाणपत्र की फोटोकॉपी से काम नहीं चलेगा। वाहन स्वामी को असली पेपर साथ रखना होगा। मोबाइल में डीजी लॉकर एप डाउनलोड कर दस्तावेज उसमें रख सकते हैं। ट्रैफिक पुलिस डीजी लॉकर पोर्टल पर रखे दस्तावेज को देखकर किसी तरह का चालान नहीं काटेगी।
 
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छह महीने के लिए बनता है सर्टिफिकेट 
अधिकारियों के मुताबिक शो-रूम से निकलने वाली नई गाड़ियों का एक साल तक प्रदूषण कंट्रोल का प्रमाणपत्र नहीं लेना होता है। इसके बाद छह-छह महीने के लिए प्रदूषण कंट्रोल का सर्टिफिकेट बनवाना होता है। पहले अमूमन लोग प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र बनवाने में लापरवाही करते थे।
 
केन्द्र खोलने की पूछताछ को लेकर पहुंचे 
प्रदूषण नियंत्रण का प्रमाणपत्र के लिए केंद्र खोलने की पूछताछ को लेकर दो दर्जन से अधिक लोग आरटीओ कार्यालय में पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ परिवहन कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन मंजूर होने के बाद स्थानीय स्तर पर इसकी जांच की जाएगी। आरटीओ के अधिकारी भी चाहते हैं कि पूरे जिले में दो दर्जन से अधिक केन्द्र खुल जाएं।

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