नई तकनीक: कार का टायर फटने से हादसे में नहीं होंगी मौतें
हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर तेज रफ्तार कार का टायर फटने से हादसे में मौत की खबरें आए दिन सुनने को मिलती हैं। लंबी दूरी के सफर के दौरान टायरों का एयर प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके कारण हादसा होता है। इन्हें...
हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर तेज रफ्तार कार का टायर फटने से हादसे में मौत की खबरें आए दिन सुनने को मिलती हैं। लंबी दूरी के सफर के दौरान टायरों का एयर प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके कारण हादसा होता है। इन्हें रोकने के लिए अब सभी कारों, हल्के व्यावसायिक वाहनों व मोटर साइकिल-स्कूटर में टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (टीपीएमएस) तकनीक लगाने की तैयारी की जा रही है। नए साल में केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने टीपीएमएस का अंतिम प्रारूप तैयार कर लिया है। मंत्रालय ने 22 दिसंबर तक इस पर हितधारकों से सुझाव-शिकायतें मांगी हैं। इसके बाद मंत्रालय टीपीएमएस लागू की अधिसूचना जारी कर देगा। उसके बाद कंपनियों के लिए कारों, हल्के व्यावसायिक वाहनों, मोटर साइकिल आदि में टीपीएमएस लगाना अनिवार्य हो जाएगा। अधिसूचना जारी होने पर वाहन निर्माता कंपनी फैक्ट्री में ही उक्त तकनीक वाहन में लगाएगी, उसके बाद ही शो रूम से वाहन बेचने की इजाजत होगी।
गर्मी में ज्यादा होते हैं टायर फटने के हादसे
वर्तमान में बजट कार अथवा मंहगी एसयूवी कारों में टायर प्रेशर निगरानी संबंधी कोई तकनीक नहीं है। यही कारण है कि वाहन चालक को टायर के प्रेशर का पता नहीं रहता। अधिक प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण टायर फटने की घटना होती है। वहीं, हवा के कम प्रेशर से टायर में लगे तार कटने लगते हैं, जिससे टायर पंचर होते हैं।
10 से 40 फीसदी तक बढ़ जाता है हाईवे पर टायरों का हवा प्रेशर। 100 या इससे अधिक की रफ्तार में कार का संतुलन नहीं बन पता और उसके पलटने का खतरा अधिक रहता है।
सेंसर वाली तकनीक काम करेगी
टीपीएमएस डिवाइस एक बॉक्स की तरह होगी, जिसे कार एवं अन्य वाहनों के इंजन के पास लगाया जाएगा। इसके सेंसर की मदद से सभी टायरों के एयर प्रेशर पर निगरानी संभव होगी। कार निर्माता कंपनी पुरानी कारों एवं वाहनों में डैश बोर्ड पर अथवा स्पीडो मीटर के समीप टीपीएमएस डिवाइस लगाएगी।
वाहन चालक को मिलेगा अलर्ट
- टीपीएमएस डिवाइस में चार बिंदु (पॉइन्ट) होंगे जो प्रत्येक टायर का प्रेशर बताएंगे।
- 20 फीसदी तक हवा का प्रेशर कम होने पर इंजन स्टार्ट करते ही बिंदु चमकने लगेंगे व बीप की आवाज आएगी।
- चलती कार में हवा का प्रेशर बढ़ने अथवा पंचर होने पर ड्रावइर को अलर्ट मिलेगा।
- अलर्ट प्रत्येक 10 मिनट में ड्राइवर को सजग करेगा। इस डिवाइस की कीमत 150-200 रुपए होगी।
अन्य देशों में है यह व्यवस्था
-चीन, जपान, यूरोप आदि देशों में टायर रिकॉल की व्यवस्था है। यानी हाईवे या एक्सप्रेस-वे पर किसी कंपनी के 5 फीसदी टायर फटते अथवा फेल होते हैं तो उसे 100 फीसदी टायर वापस मंगाना अनिवार्य है।
-भारत में रिकॉल व्यवस्था नहीं है इसलिए टायर फटने या फेल होने की घटनाओं एवं मृतकों का आंकड़ा नहीं रखा जाता।
हवा का प्रेशर कम या ज्यादा होना खतरनाक
टायर में हवा का प्रेशर कम अथवा अधिक सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। गर्मियों में अधिक प्रेशर से चलती कार पलटने का सबसे अधिक खतरा रहता है। निर्धारित मानक से अधिक प्रेशर होने पर टायर फट जाते हैं। अंडर प्रेशर होने पर फेब्रिक (नॉयलन या स्टील तार) टूट जाते हैं। यह टायर पंचर होने का बड़ा कारण है और कार पलट जाती है। प्रेशर ठीक होने पर सुरक्षा अधिक होती है और ईधन खपत भी कम होती है। यानी पर्यावरण को भी अधिक नुकसान नहीं होता।
-एसपी. सिंह, सड़क परिवहन विशेषज्ञ
हादसे का दूसरा प्रमुख कारण टायर फटना
हादसे की वजह प्रतिशत
ओवर स्पीड 25
टायर फटना 20
कोहरा 20
ओवरटेकिंग 15
नींद में डिवाइडर से टकराना 10
बीच रास्ते में खड़े वाहन 10
(यमुना एक्सप्रेस-वे पर किए गए सर्वे पर आधारित)