कोरोना संकट के बीच आई एक नई मुसीबत, कई राज्यों ने 'ब्लैक फंगस' को घोषित किया नोटिफाइड बीमारी

‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्यूकर माइकोसिस’ भारत में तेजी से पांव पसार रहा है। बीते एक महीने में देश में पांच हजार से ज्यादा संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। तेजी से फैलते संक्रमण को...

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Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान टीम , नई दिल्ली।
Fri, 21 May 2021 9:26 AM

‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्यूकर माइकोसिस’ भारत में तेजी से पांव पसार रहा है। बीते एक महीने में देश में पांच हजार से ज्यादा संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से इसे महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड करने का आग्रह किया है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बाद अब तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, ओडिशा व तेलंगाना की सरकारों ने भी इसे महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड बीमारी घोषित कर भी दिया है।

तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन ने गुरुवार को कहा, मौजूदा समय में राज्य में ‘ब्लैक फंगस’ से संक्रमित नौ लोगों का इलाज चल रहा है। इनमें से छह पुराने, जबकि तीन नए मामले हैं। सात मामलों में पीड़ित डायबिटीज के रोगी हैं और हाल ही में कोविड-19 से उबरे हैं। सभी की स्थिति स्थिर है। उन्होंने बताया कि ‘ब्लैक फंगस’ कोरोना महामारी की शुरुआत से पहले ही अस्तित्व में आ चुका था। अनियंत्रित ब्लड शुगर, स्टेरॉयड का सेवन और लंबे समय तक गहन चिकित्सा इकाइयों में रहना इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।

वहीं, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा कि ‘म्यूकरमाइकोसिस’ राज्य में अब नोटिफाइड रोग है। कोई भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र, जिसमें संक्रमण के इलाज की क्षमता है, किसी भी मरीज को भर्ती करने से इंकार नहीं कर सकता। इस संबंध में आधिकारिक आदेश जल्द जारी किया जाएगा। उधर, तेलंगाना ने ‘ब्लैक फंगस’ को नोटिफाइड बीमारी घोषित करते हुए सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों को इसकी जांच, निदान व प्रबंधन के लिए केंद्र की ओर से तय दिशा-निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया। ओडिशा और असम की सरकारों ने भी ‘ब्लैक फंगस’ को महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड करते हुए सभी पुष्ट व संदिग्ध मामलों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग से साझा करना अनिवार्य बना दिया है।

ब्लैक फंगस का कहां कितना कहर:

गुजरात- बीते एक महीने में 1163 से ज्यादा मरीज ‘ब्लैक फंगस’ की चपेट में आ चुके हैं। 40 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं, राजकोट और सौराष्ट्र क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित, सूरत मेडिकल कॉलेज ने इलाज के लिए अलग वॉर्ड बनाया। 

हरियाणा- राज्यभर में 226 से ज्यादा मरीजों में ‘म्यूकरमाइकोसिस’ संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें से 14 मरीजों की मौत हुई। सरकार ने इसे नोटिफाइड रोग घोषित किया है। चार मेडिकल कॉलेज में 20-20 बेड इलाज के लिए आरक्षित किए गए हैं।

महाराष्ट्र- अभी तक लगभग 1500 मरीजों की पहचान हुई है। इनमें से 500 से अधिक संक्रमण से उबर चुके हैं। जबकि 850 से ज्यादा का इलाज चल रहा है। राज्य में ‘म्यूकरमाइकोसिस’ से कम से कम 90 मरीजों की जान जा चुकी है।

दिल्ली- देश की राजधानी दिल्ली में 185 से ज्यादा मामले रिकॉर्ड हो चुके हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकनायक, जीटीबी और राजीव गांधी अस्पताल को ‘ब्लैक फंगस’ के इलाज को समर्पित केंद्र बनाने का निर्देश दिया है।

तमिलनाडु- राज्य सरकार ने ‘म्यूकरमाइकोसिस’ को नोटिफाइड बीमारी घोषित किया है। फिलहाल वहां नौ मरीजों में इस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। स्थिति की समीक्षा के लिए दस सदस्यीय समिति बनाई गई है।

बिहार- 50 से ज्यादा मरीजों में ‘ब्लैक फंगस’ की पुष्टि हुई है। एक महिला और एक चिकित्सक की मौत हो चुकी है। गुरुवार को ‘व्हाइट फंगस’ के चार मामले आने से दहशत बढ़ गई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह उतना खतरनाक नहीं है।

छत्तीसगढ़- ‘ब्लैक फंगस’ के 90 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 61 मरीजों का एम्स रायपुर में इलाज चल रहा। बाकी रायपुर, दुर्ग और महासमुंद के अस्पतालों में भर्ती हैं। दुर्ग में एक संक्रमित की मौत की खबर सामने आई है।

उत्तर प्रदेश- ‘ब्लैक फंगस’ के 120 मामले रिकॉर्ड हो चुके हैं। 13 मरीजों की जान गई। राज्य के अस्पतालों में 3000 एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग होने की खबर है, लेकिन फिलहाल 636 इंजेक्शन की आपूर्ति हो पाई है।

हिमाचल प्रदेश- गुरुवार को ‘ब्लैक फंगस’ ने हिमाचल प्रदेश में भी दस्तक दी। हमीरपुर जिले के खागड़ की रहने वाली महिला में संक्रमण की पुष्टि हुई है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।

उत्तराखंड- यहां 38 कुल मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से पांच कुमाऊं क्षेत्र के, अलमोड़ा, नैनीताल और पिथौरागढ़ में एक-एक, जबकि ऊधमसिंह नगर में दो मरीज मिले हैं। उत्तराखंड में फिलहाल तीन लोग ‘ब्लैक फंगस’ संक्रमण के चलते दम तोड़ चुके हैं।

झारखंड- प्रदेश में ‘ब्लैक फंगस अब तक चार मरीजों की जान ले चुका है। 15 संक्रमितों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। बाजार में एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की भारी किल्लत है।

ओडिशा- ‘ब्लैक फंगस’ को महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी घोषित किया गया है। पांच मरीजों में हो चुकी है संक्रमण की पुष्टि। इनमें से एक ने दम तोड़ दिया है।

तेलंगाना- महामारी रोग अधिनियम-1897 के तहत नोटिफाइड किया गया है। राज्य में 80 से अधिक मरीजों की पहचान की गई है। स्वास्थ्य विभाग को सभी पुष्ट और संदिग्ध मामलों की रोजाना जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। 

आंध्र प्रदेश- नेल्लोर, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी, विशाखापत्तनम, चित्तूर, अनंतपुर और गुंटूर जैसे जिलों में ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के 250 से ज्यादा मामले आए है। राज्य सरकार ने एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की 15 हजार शीशियों का ऑर्डर दिया है।

कर्नाटक- राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में ‘ब्लैक फंगस’ से संक्रमित कम से कम 97 मरीजों का इलाज चल रहा है। बेंगलुरु के बोरिंग अस्पताल में संक्रमण के इलाज के लिए समर्पित केंद्र बनाया गया है। छह क्षेत्रीय केंद्रों की भी पहचान हुई है।

राजस्थान- राज्य सरकार ने ‘म्यूकरमाइकोसिस’ को महामारी घोषित किया है। मौजूदा समय में सौ से ज्यादा संक्रमित उपचाराधीन हैं। जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में इलाज के लिए अलग वॉर्ड बनाया गया है।

मध्य प्रदेश- बीते एक हफ्ते में 281 संक्रमितों की पहचान हुई है। इनमें से 27 ‘ब्लैक फंगस’ से जिंदगी की जंग नहीं जीत पाए। तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर के अस्पतालों में विशेष यूनिट स्थापित किए गए।

असम- असम में गुरुवार को ‘ब्लैक फंगस’ से पहली मौत हुई है। राजधानी गुवाहाटी में कोविड-19 संक्रमण से उबरने वाले 27 वर्षीय मरीज ने ‘म्यूकरमाइकोसिस’ से उपजी जटिलताओं के कारण दम तोड़ दिया।

केरल- प्रदेश में ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के 15 मामले रिकॉर्ड हो चुके हैं। मलाप्पुरम में इस संक्रमण के चलते एक वृद्ध मरीज की आंख निकालनी पड़ी है। 

ब्लैक फंगस से मौतों पर स्वास्थ्य मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव से ब्लैक फंगस से हो रही मौतों और संक्रमण पर उचित कार्रवाई करने और रिपोर्ट देने को कहा है। एनएचआरसी ने मंत्रालय को निर्देश देते हुए कहा कि संबंधित प्राधिकरण मामले में उचित कार्रवाई करेगा और इस मुद्दे पर की गई कार्रवाई की सूचना शिकायतकर्ता को आठ सप्ताह के भीतर देनी होगी।सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी ने एनएचआरसी से ब्लैक फंगस पर एक याचिका देकर तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने इसमें बताया है कि महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और ओडिशा समेत पूरे देश में तीन हजार से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की बीमारी से पीड़ित हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस बीमारी को लेकर न तो केंद्र और न ही कोई राज्य सरकार गंभीर है।

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