कानून मंत्री के लिए तीन तलाक बिल पास कराना चुनौती होगा
मोदी सरकार में नए कानून मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा दिलाने के तीन तलाक बिल को पास कराने की। यह अभी अध्यादेश के रूप में लागू है। नई सरकार के कानून मंत्री के...
मोदी सरकार में नए कानून मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा दिलाने के तीन तलाक बिल को पास कराने की। यह अभी अध्यादेश के रूप में लागू है।
नई सरकार के कानून मंत्री के सामने ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ (देश में व्यावसाय करने की सरलता) की रेटिंग को बढ़ाने का जिम्मा भी होगा। गत वर्ष 2018 में भारत ने इस रैंकिंग को 23 अंक बढ़ाकर 77 पर आ गया था। ‘ईज आफ डूइंग’ बिजनेस न्यायालयों में मुकदमों के निपटारे में लगने वाला समय कम करने की रैंकिंग है। इसमें अनुबंध और सिविल वादों के निचली अदालतों में निपटारा शामिल है। मुकदमों में लगने वाला समय देश में कुछ कम हुआ है। यह समय अब 180 दिन के आसपास आ गया है। जबकि विकसित देशों में यह समय 90 दिन है। नए मंत्री के सामने इस समय को कम करने की चुनौती रहेगी।
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इसके अलावा उच्च न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट) में जजों की नियुक्तियों के लिए बनाए गए कानून एनजेएसी को पुनर्जीवित करने की चुनौती भी सरकार के समक्ष रहेगी। 2015 में इसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। कानून मंत्री के सामने सुप्रीम कोर्ट और कुछ हाईकोर्ट की बेंचें स्थापित करने के प्रस्तावों पर विचार करना भी होगा। बेंच की मांग करने वाले हाईकोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट सबसे आगे है। इसके लिए आंदोलन भी चल रहा है। वहीं देश के चारों कोनों में सुप्रीम कोर्ट की बेंचें स्थापित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास लंबित है। लेकिन इसमें सरकार को पक्ष रखना है और यह देखना होगा कि सरकार इसमें क्या रुख अपनाती है।
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