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गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक गंगा में प्लास्टिक कचरा तलाशेगा नेटजियो दल

नेशनल जियोग्राफिक (नेटजियो) का 15 सदस्यीय महिला शोधार्थियों का दल नदी, सड़क और रेल के रास्ते गंगा में प्लास्टिक कचरे को तलाशेगा। महिला शोधार्थियों की इस टीम में पांच शोधार्थी और इंजीनियर होंगे। यह दल...

गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक गंगा में प्लास्टिक कचरा तलाशेगा नेटजियो दल
हिटी,नई दिल्ली।Thu, 09 May 2019 08:59 PM
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नेशनल जियोग्राफिक (नेटजियो) का 15 सदस्यीय महिला शोधार्थियों का दल नदी, सड़क और रेल के रास्ते गंगा में प्लास्टिक कचरे को तलाशेगा। महिला शोधार्थियों की इस टीम में पांच शोधार्थी और इंजीनियर होंगे। यह दल गंगा नदी में प्लास्टिक कचरे के प्रवाह की जांच करने के लिए गंगोत्री ग्लेशियर से बंगाल की खाड़ी तक जाएगा। 

चार महीने तक चलने वाला यह अभियान दो महीने मई के अंत में और दो माह मानसून के बाद तक चलेगा। गौरतलब है कि हर साल करीब 90 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा दुनिया की जल प्रणालियों में डंप किया जाता है, जो महासागरों में जाकर मिलता है। नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च के अनुसार, भारत में महासागरों तक पहुंचने वाले कचरे में 60 फीसदी प्लास्टिक होती है। 

मछली पकड़ने के जाल से भी फैल रहा प्रदूषण

चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. एस. श्रीनिवासालु ने बताया कि यह मछली पकड़ने के जाल और नदी के किनारे बसे शहरों में फेंकी गई पॉलिथीन व प्लास्टिक से आती है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास हमें निर्जन द्वीपों के आस-पास भी समुद्र की धाराओं द्वारा पहुंचाया गया प्लास्टिक मिला है। प्लास्टिक की सबसे अधिक मात्रा (घनत्व) तटीय इलाकों में पाई जाती है, जो बाढ़ के दौरान बढ़ती है।

2022 तक एकल प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगेगा

पिछले साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि साल 2022 तक भारत में एक बार उपयोग होने वाली सभी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक की समस्या के समाधान के लिए भारत ने मार्च 2019 में चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में प्रस्ताव का समर्थन किया था। 

60 करोड़ लोगों के जीवन का आधार है गंगा

गंगा को अभियान के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यह दुनिया के प्रतिष्ठित जलमार्गों में से एक है और यह करीब 60 करोड़ लोगों के जीवन का आधार है। जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन की वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार और अभियान की सह-प्रमुख वैज्ञानिक हीथर कोल्डेवी नेशनल ज्योग्राफिक की अब तक की सबसे बड़ी महिला-अभियान का नेतृत्व कर ही हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में एक नेता के रूप में खुद को तैनात किया है।

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी अभियान का हिस्सा

देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस अभियान का हिस्सा है। हीथर ने कहा कि यह अभियान प्लास्टिक कचरे के स्रोत के समुद्र तक पहुंचने को बेहतर तरीके से समझने और दस्तावेज बनाने में मदद करेगा।

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