नेपाल जारी करेगा नया मैप, भारत के कालापानी और लिपुलेख को बताया अपना इलाका
नेपाल सरकार ने सोमवार (18 मई) को यह निर्णय लिया है कि वह अपने देश का नया मानचित्र जारी करेगा, जिसमें लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र शामिल होंगे। दरअसल इन दोनों क्षेत्रों को लेकर नेपाल का भारत से विवाद...

नेपाल सरकार ने सोमवार (18 मई) को यह निर्णय लिया है कि वह अपने देश का नया मानचित्र जारी करेगा, जिसमें लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र शामिल होंगे। दरअसल इन दोनों क्षेत्रों को लेकर नेपाल का भारत से विवाद चल रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जहां मानचित्र में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को दिखाने का फैसला लिया गया।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने नेपाली में ट्वीट किया कि मंत्रिपरिषद ने देश का नया मानचित्र जारी करने का निर्णय लिया है, जिसमें 7 प्रांत, 77 जिले और लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के साथ 753 स्थानीय प्रशासनिक मंडलों को दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आधिकारिक नक्शा जल्द ही भूमि प्रबंधन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ लैंड मैनेजमेंट) के द्वारा जारी होगा।
लिम्पियाधुरा, लिपुलेक र कालापानीसहितका भूभाग समेट्दै ७ प्रदेश, ७७ जिल्ला र ७५३ स्थानीय तहको प्रशासनिक विभाजन खुल्ने गरी नेपालको नक्सा प्रकाशित गर्ने मन्त्रिपरिषदको निर्णय । आधिकारिक नक्सा भूमिव्यवस्था मन्त्रालयले छिटै सार्वजनिक गर्दैछ ।
— Pradeep Gyawali (@PradeepgyawaliK) May 18, 2020
मिनिस्टर ऑफ लैंड मैनेजमेंट पदम अरयाल की तरफ से कैबिनेट मीटिंग के दौरान देश के नए राजनीतिक नक्शे के बारे में प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। नेपाल के सांस्कृतिक, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री योगेश भट्टाराय ने कहा कि सोमवार का कैबिनेट का यह फैसला सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री केपी ओली को धन्यवाद देते हुए कहा, "आने वाले समय में यह सभी क्विज कॉन्टेस्ट में (सोमवार के कैबिनेट के फैसले और इसकी तारीख) पूछा जाएगा।"
गौरतलब है कि नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने बीते सोमवार (11 मई) को लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर विरोध व्यक्त करने के लिए भारतीय राजदूत को तलब कर उन्हें एक राजनयिक नोट थमाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क का उद्घाटन किया था, जिससे तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों को मदद मिलने की उम्मीद है जो लिपुलेख दर्रे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।
नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार (15 मई) को संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख नेपाल के हैं तथा मौजूदा मुद्दों के समाधान के लिए उचित राजनयिक कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद, नई दिल्ली ने कहा था कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल में चालू किया गया सड़क मार्ग खंड पूरी तरह भारत के क्षेत्र में है। भारत ने कहा था कि दोनो देशो के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता में इस मुद्दे पर बात होगी। भारत के कदम का विरोध नेपाल की संसद से लेकर काठमांडू की सड़कों तक दिखा था।
उल्लेखनीय है कि लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया जाता है। हालांकि नेपाल भी अपना दावा जताता रहा है। भारत और नेपाल सीमा संबंधी मुद्दों को बातचीत के जरिये हल करने की पैरवी करते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि नेपाल के नए कदम के पीछे चीन की भूमिका है।
