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कृषि कानूनों पर मध्यस्थता को लेकर केंद्र सरकार ने क्या किया, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिया जवाब

तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग एक महीने से सरकार और किसानों के बीच चला आ रहा गतिरोध शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के बाद भी समाप्त नहीं हो सका। किसानों के साथ वार्ता के बाद मीडिया से बात करते...

कृषि कानूनों पर मध्यस्थता को लेकर केंद्र सरकार ने क्या किया, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिया जवाब
विशेष संवादताता,नई दिल्लीSat, 09 Jan 2021 12:03 AM
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तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग एक महीने से सरकार और किसानों के बीच चला आ रहा गतिरोध शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के बाद भी समाप्त नहीं हो सका। किसानों के साथ वार्ता के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने साफ किया कि सरकार ने मध्यस्थता के लिए किसी से संपर्क नहीं किया।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर  ने एक सवाल के जवाब में कहा कि धार्मिक संत बाबा लक्खा सिंह की ओर से किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा गया था। सरकार ने उनके साथ चर्चा की। बाबा की ओर से किसान आंदोलन पर चिंता व्यक्त की गई और समाधान निकालने के लिए कहा। उनको बताया कि सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजा गया था जिसे किसानों ने खारिज कर दिया है। सरकार सभी किसान नेताओं से मिल रही है, फिर चाहे वह कानून के समर्थन मे आए हों अथवा इसका विरोध कर रहे हों।

लगभग दो घंटे तक चली बैठक के बारे में बताते हुए तोमर ने इस बात से इंकार किया कि सरकार ने किसानों के समक्ष कृषि कानूनों से संबंधित उच्चतम न्यायालय में लंबित एक मामले में शामिल होने का कोई प्रस्ताव रखा। उन्होंने हालांकि कहा कि उच्चतम न्यायालय जो भी फैसला लेगी, सरकार उसका अनुसरण करेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इन कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ने के प्रस्ताव पर विचार करेगी, तोमर ने कहा कि इस संबंध में किसान नेताओं की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो सरकार उस वक्त फैसला लेगी।

किसानों ने कहा, लोहड़ी और बैशाखी भी प्रदर्शन स्थलों पर मनाएंगे:
बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि बैठक बेनतीजा रही और अगली वार्ता में कोई नतीजा निकलेगा, इसकी संभावना भी नहीं है। उन्होंने कहा, हम तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ और नहीं चाहते। उन्होंने कहा, सरकार हमारी ताकत की परीक्षा ले रही है लेकिन हम झुकने वाले नहीं हैं। ऐसा लगता है कि हमें लोहड़ी और बैशाखी भी प्रदर्शन स्थलों पर मनानी पड़ेगी। एक अन्य किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि किसान जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ने को तैयार है। उन्होंने अदालत का रुख करने के विकल्प को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि किसान संगठन 11 जनवरी को आपस में बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। एक अन्य किसान नेता ने बैठक में कहा, आदर्श तरीका तो यही है कि केंद्र को कृषि के विषय पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया गया है। ऐसा लग रहा है कि आप (सरकार) मामले का समाधान नहीं चाहते हैं, क्योंकि वार्ता कई दिनों से चल रही है। ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए। हम चले जाएंगे। क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें।

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