MP Results 2018 : जानिए क्यों इतनी देर से मध्य प्रदेश विधानसभा के नतीजे
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती 11 दिसंबर मंगलवार को नियत समय पर सभी केंद्रों पर शुरू हो गई थी। हालांकि इसके बावजूद मध्य प्रदेश विधानसभा की तस्वीर अगले दिन यानी बुधवार तक ही साफ...
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती 11 दिसंबर मंगलवार को नियत समय पर सभी केंद्रों पर शुरू हो गई थी। हालांकि इसके बावजूद मध्य प्रदेश विधानसभा की तस्वीर अगले दिन यानी बुधवार तक ही साफ हो पाई। एमपी विधानसभा के नतीजों में देरी का कारण ईवीएम की तकनीकी खामियों को बताया जा रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवारों द्वारा छोटी-छोटी बातों पर जिला प्रशासन के सामाने आपत्ति दर्ज कराना भी देरी की वजह बना। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने चुनाव आयोग को दी। दरअसल चुनाव आयोग ने मतगणना की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जाहिर की थी। सीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने आयोग को बताया कि बालाघाट, नरसिंहपुर और झाबुआ जिले के 11 मतदान केंद्रों में ईवीएम में मतदान की संख्या और वीवी पैट की पर्ची में अंतर आ रहा था।
ईवीएम में खराबी के बारे में जानकारी देने के लिए शाम छह बजे के बाद कलेक्टरों ने सीईओ कार्यालय को फैक्स भेजना शुरू किया। सीईओ कार्यालय उन विवादों का निराकरण करता रहा। शाम 8 बजे के तक करीब 200 से अधिक मतदान केंद्रों से ईवीएम को बंद न करने, मॉक पोल के बाद सीआरसी बदन न दबाने, ईवीएम में मतदान संख्या डिस्प्ले न होने, बैलट पेपर की गणना में विवाद की स्थिति बनने जैसी शिकायतें आती रहीं। सीईओ कार्यालय ने सभी शिकायतें आयोग को भेजी हैं।
मतगणना के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी पूरी तरह से चौकन्ने रहे। कांग्रेस को बीजेपी द्वारा प्रशासनिक मशीनरी का फायदा उठाने का प्रयास करने का शक था। इसलिए पार्टी ने इसके लिए हर जिले में वकीलों का पैनल तैनात किया था। जरा सी भी गड़बड़ी या कम अंतर से हार-जीत होने पर कांग्रेस के वकीलों ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को आपत्तिपत्र थमा दिए। इससे बीजेपी या निर्दलीय प्रत्याशी की जीत होने के बावजूद कलेक्टर देर रात तक उन्हें विजय प्रमाण पत्र नहीं दे पाए।
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