Mothers day 2019: धमकियों का डटकर सामना करना सिखाया-राफिया नाज
चार वर्ष की थी, जब मेरा दाखिला डोरंडा गर्ल्स मिडिल स्कूल (बांग्ला स्कूल) रांची में कराया गया। वहां योग की कक्षाएं चलती थीं। योग प्रशिक्षक सुशांतो भट्टाचार्य बच्चों को योग सिखाते थे। मेरा मन भी योग...
चार वर्ष की थी, जब मेरा दाखिला डोरंडा गर्ल्स मिडिल स्कूल (बांग्ला स्कूल) रांची में कराया गया। वहां योग की कक्षाएं चलती थीं। योग प्रशिक्षक सुशांतो भट्टाचार्य बच्चों को योग सिखाते थे। मेरा मन भी योग सीखने को करता था। सुशांतो भट्टाचार्य ने यह भांप लिया।
एक दिन उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा और जवाब में ‘राफिया नाज' सुनकर बोले अपने पिताजी को साथ लेकर आना, फिर सिखाऊंगा। .
एक छोटी बच्ची की जिद पर मेरे माता-पिता मुझे सुशांतो भट्टाचार्य के घर लेकर गए और योग सिखाने का आग्रह किया। परेशानी तब शुरू हुई, जब पहली बार अपने योग गुरु के साथ चाईबासा में स्टेट योग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया। 2014-15 में सोशल साइट पर मुझे गालियां मिलने लगीं। मुझे ट्रोल किया जाने लगा। मेरा फेक अकाउंट बनाकर मुझे अपमानित और बदनाम किया जाने लगा। मेरी मां जमीला खातून जो पहले इदरिसिया हाई स्कूल रांची में शिक्षिका थीं, उन्होंने हमारी परवरिश के लिए नौकरी छोड़ दी थी। उस मुश्किल घड़ी में मां मेरे साथ चट्टान की तरह खड़ी रही।
जब सोशल साइट पर मेरा फेक अकाउंट बना कर बदनाम किया जा रहा था तब मां ने कहा था तुमने कुछ गलत नहीं किया है। ऊपरवाला सबका रक्षक है। योग का संदेश संयमित जीवनचर्या है, इससे किसी का धर्म प्रभावित कैसे हो सकता है।
मां की प्रेरणा से ‘योगा बियॉन्ड रिलिजन' संस्था चला रही हूं। 2015 में मुझे अखिल भारतीय योग सम्मेलन में ‘योग प्रभा सम्मान' मिला। जम्मू कश्मीर में ‘योग प्रमोटर' का खिताब दिया गया। मां का सपना है कि मैं प्रोफेसर बनूं और समाज की संकीर्ण सोच बदलने को युवा मन को तैयार करूं।
(प्रस्तुति : श्रेयसी मिश्रा)