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कोरोना वायरस से हृदय रोगियों की ज्यादा मौतें, रिसर्च में दावा

जिन लोगों की दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं यानी वे मायोकार्डियल इंजुरी से ग्रस्त हों, उनमें कोविड-19 के कारण मृत्यु दर सर्वाधिक होने की आशंका व्यक्त की गई है। ऐसे लोगों में मृत्यु दर...

कोरोना वायरस से हृदय रोगियों की ज्यादा मौतें, रिसर्च में दावा
नई दिल्ली, मदन जैड़ाSun, 29 Mar 2020 06:45 AM
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जिन लोगों की दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं यानी वे मायोकार्डियल इंजुरी से ग्रस्त हों, उनमें कोविड-19 के कारण मृत्यु दर सर्वाधिक होने की आशंका व्यक्त की गई है। ऐसे लोगों में मृत्यु दर 50-60 फीसदी के बीच दर्ज की गई है। एजेएमए कार्डियोलॉजी जर्नल में विगत दिवस प्रकाशित एक शोध में यह दावा किया गया है।

मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने से दिल को रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा होता है। शिकागो स्थित नार्थवेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वुहान के दो अस्पतालों में रोगियों की मृत्यु के आंकड़ों को आधार बनाकर यह नतीजा निकाला है।

ट्रपोनिन प्रोटीन की जांच से इस बीमारी का पता चला: दो अस्पतालों के आंकड़ों के अलग-अलग अध्ययन किए और नतीजा करीब-करीब एक समान निकला। एक अस्पताल में भर्ती कुल 416 कोविड रोगियों की जांच हुई। इनमें से 82 यानी करीब 19.7 फीसदी ऐसे थे जिनकी दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो चुकी थीं और वे हृदयाघात की कगार पर थे। रक्त में ट्रपोनिन प्रोटीन की जांच से इस बीमारी का पता चलता है।

मरीजों पर किया अध्ययन शोध में पाया कि जिन 82 की ह्रदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त थीं, उनमें से 42 यानी 51.2 फीसदी की मृत्यु हो गई। बाकी 334 जिन लोगों को यह बीमारी नहीं थी, उनमें से महज 15 यानी 4.5 फीसदी की मौत हुई। ्रअध्ययन की पुष्टि के लिए एक अन्य अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की मृत्यु दर की पड़ताल की गई। इस अस्पताल में 187 मरीज भर्ती थे जिनमे से 52 यानी 27.8 फीसदी मायोकार्डियल इंजुरी से ग्रस्त थे। इनमें से 31 यानी 59.6 फीसदी की मौत हो गई। जबकि बाकी जिन 135 लोगों में यह बीमारी नहीं थी उनमें से 12 यानी 8.9 फीसदी की मृत्यु हुई।

दिल संबंधी दुष्प्रभाव पर मंथन अहम सवाल यह है कि क्या कोविड की वजह से ह्रदय की मांसपेशियों को क्षति पहुंच रही है या सभी रोगी पहले से ही इस बीमारी से ग्रस्त थे। इनमें से एक-दो मामले ऐसे आए हैं जिनमें मरीज कम उम्र के थे और पहले से उन्हें ह्रदय की किसी बीमारी रिपोर्ट नहीं हुई थी। लेकिन रिपोर्ट नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि बीमारी पहले थी ही नहीं। इसलिए शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात के लिए अध्ययन होना चाहिए कि कहीं कोविड के संक्रमण से दिल की मांसपेशियां तो क्षतिग्रस्त नहीं हो रही हैं।

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