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बजट 2019: रक्षा बजट में बढ़ोतरी की उम्मीदों पर फिरा पानी

आम बजट में रक्षा क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें लगी हुई थी, लेकिन सरकार ने अंतरिम रक्षा बजट आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया। जो राशि अंतरिम बजट में आवंटित की गई थी उसी को आगे बढ़ाया गया है। अलबत्ता सैन्य बलों...

 बजट 2019: रक्षा बजट में बढ़ोतरी की उम्मीदों पर फिरा पानी
नई दिल्ली। मदन जैड़ाFri, 05 Jul 2019 04:37 PM
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आम बजट में रक्षा क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें लगी हुई थी, लेकिन सरकार ने अंतरिम रक्षा बजट आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया। जो राशि अंतरिम बजट में आवंटित की गई थी उसी को आगे बढ़ाया गया है। अलबत्ता सैन्य बलों के लिए विदेशों से रक्षा उपकरणों की खरीद में बुनियादी सीमा शुल्क में छूट देने का ऐलान किया है। इससे खरीद में रक्षा मंत्रालय को करोड़ों की बचत होने की उम्मीद है। दूसरी तरफ विशेषज्ञों ने रक्षा बजट में बढ़ोतरी नहीं किए जाने पर भारी हैरानी जाहिर की है। 

चुनाव से पूर्व एक फरवरी को पेश अंतरिम बजट में रक्षा महकमे को 3.18 लाख करोड़ आवंटित किए गए थे। भूतूपर्व सैनिकों की पेंशन के लिए 1.12 लाख रुपये अलग से दिए गए थे। पिछले साल के बजट की तुलना में यह बढ़ोतरी करीब 20 हजार करोड़ रुपये की है, लेकिन प्रतिशत में सात फीसदी की। आम बजट में इसे जस का तस रखा गया है। अलबत्ता कुछ मदों की राशि में मामूली बदलाव किए गए हैं।

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इजाफा संभव
बजट के जानकारों का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि पूर्ण बजट में अंतरिम बजट के आवंटन को ही जारी रखा जाए। जब 2014 में चुनाव के बाद पूर्ण बजट पेश हुआ था तो इसी एनडीए सरकार ने रक्षा बजट में पांच हजार करोड़ रुपये का इजाफा किया था। तब अंतरिम बजट में यूपीए सरकार ने 2.24 लाख करोड़ का प्रावधान किया था जिसे एनडीए सरकार ने बढ़ाकर 2.29 लाख करोड़ किया था। 

पेंशन के लिए पर्याप्त आवंटन
बजट में रक्षा सेवाओं, पेंशन आदि के लिए तो पर्याप्त आवंटन है, क्योंकि यह वास्तविक व्यय के आधार पर है। लेकिन आधुनिकीकरण की राशि ज्यादा नहीं है। इसलिए इसका असर नई रक्षा खरीद पर पड़ सकता है। दरअसल, कई खरीद परियोजनाएं लंबित हैं, उनका भुगतान होना है। दूसरे, एचएएल में बड़े पैमाने पर तेजस लड़ाकू विमानों का निर्माण होना है जिसका भुगतान रक्षा मंत्रालय को करना होगा। दूसरे रक्षा उपक्रमों को भी मंत्रालय ने कई कार्य दिए हैं। लेकिन आवंटन नहीं बढ़ने से उनके पूरा होने में विलंब हो सकता है। 

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रक्षा विशेषज्ञ की टिप्पणी: लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह
रक्षा बजट में बढ़ोतरी नहीं होना आश्चर्यजनक है। सभी को उम्मीद थी कि पिछले कई सालों से रक्षा आधुनिकीकरण के बजट में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही थी, लेकिन इस बार यह जरूर होगी। इसकी वजह यह थी कि चुनाव से ठीक पूर्व हुए बालाकोट और उसके बाद जो स्थितियां बनी उससे हमें लगा कि हमारी रक्षा तैयारियां और बेहतर होनी चाहिए। जोश में हमारे जांबाजों ने अच्छा कार्य किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे सैनिक दुनिया के बेहतरीन सैनिक हैं। लेकिन उन्हें जोश और पेशेवर दक्षता के साथ-साथ आधुनिक उपकरणों की भी जरूरत है, हमें यह बात कतई नहीं भूलनी चाहिए। हमें अच्छे लड़ाकू विमान चाहिए। आधुनिक पनडुब्बियां चाहिए। सिपाहियों को अच्छी राइफलें और एंटी टैंक मिसाइलें चाहिए। आज हमारे लिए जितना जरूरी अर्थव्यवस्था को बढ़ाना, गरीबी को हटाना, रोजगार देना और सामाजिक क्षेत्र में निवेश करना है, उससे भी ज्यादा जरूरी देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। आज तीनों सेनाओं के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की जरूरत है। सेनाओं को दुनिया के बेहतरीन उपकरणों की जरूरत है। मेक इन इंडिया ठीक है। लेकिन हम यह सोचकर नहीं रह सकते कि पहले देश में हथियार बनेंगे, फिर वे खरीदे जाएंगे। जहां तक विदेशों से रक्षा उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क में छूट देने की बात है वह अच्छा कदम है। 

रक्षा बजट में बढ़ोतरी
2014-15-229000 करोड़
2015-16-246727 करोड़
2016-17- -258000 करोड़
2017-18--274114 करोड़
2018-19-295571 करोड़
2019-20--318931 करोड़

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रक्षा आधुनिकीकरण का बजट
साल                 बजट    
2016-17        69,898 करोड़ 
2017-18        69473 करोड़
2018-19        74115 करोड़
2019-20        81008 करोड़
 

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