बुलंदशहर में सोमवार को कथित गोकशी को लेकर ऐसी हिंसा भड़की की एक इंस्पेक्टर सुबोध सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई। बुलंदशहर के स्याना कोतवाली के महाव गांव देखते धू-धू कर जलने लगा। गुस्साई भीड़ ने थाने को फूंक दिया और पुलिस पर पथराव किया। अधिकारियों ने बताया कि ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि उसे काबू में करने के लिए फायरिंग करने पड़ी।
बुलंदशहर में बेकाबू हुई भीड़
मेरठ जोन के एडिशन डायरेक्टर जनरल प्रशांत कुमार ने कहा कि महाव गांव और उसके आसपास के प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की और आगजनी की। इसमें स्याना कोतवाली के गांव महाव पुलिस चौकी समेत कई गाड़ियां फूंक दी गई।
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जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा ने कहा- “बुलंदशहर में अवैध गोकशी को लेकर भीड़ के साथ हुई हिंसक झड़प में एक पुलिसवाले समेत दो लोगों की मौत हो गई।”
सुबोध कुमार सिंह थे अखलाक केस से IO
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने कहा- यह साफ किया जाता है कि सुबोध कुमार सिंह (बुलंदशहर हिंसा के दौरान मारे गए पुलि इंस्पेक्टर) अखलाक मॉब लिंचिंग केस के 28 सितंबर 2015 से लेकर 9 नवंबर 2015 तक जांच अधिकारी थे। इस केस की चार्जशीट कई जांच अधिकारी की तरफ से 2016 के मार्च में दाखिल की गई थी।
गौरतलब है कि इस हिंसा में मारे गए सुबोध कुमार सिंह वहीं इंस्पेक्टर हैं जो संयोगवश दादरी के मोहम्मद अखलाक लिंचिग केस में जांच अधिकारी थे। जांच के बीच में ही सुबोध कुमार सिंह का वाराणसी में तबादला कर दिया गया था।
हालांकि, सिंह के खिलाफ कथित तौर पर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप थे, लेकिन यूपी पुलिस ने बताया था कि यह सामान्य तबादला है। अखलाक को दादरी के बिसहारा गांव में 28 सितंबर 2017 को भीड़ ने इस अफवाह पर पीट-पीटकर मारा डाला कि उसके परिवारवालों ने गो मांस रखा था।
स्थिति निंयत्रण के लिए पुलिस ने की बुलंदशहर में फायरिंग
बुलंदशहर में एक तरफ जहां गुस्साई भीड़ पत्थर बरसा रही थी तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस स्थिति को काबू करने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन, स्थिति नियंत्रण में न होते देख उन्हें फायरिंग करनी पड़ी। इस दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में दम तोड़ दिया।
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