मिशन शक्ति: 60 साल पहले हुआ था पहला परीक्षण
भारत ने दुश्मन के उपग्रह को अंतरिक्ष में ही मार गिराने की क्षमता हासिल कर दुनिया की चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्र के नाम...
भारत ने दुश्मन के उपग्रह को अंतरिक्ष में ही मार गिराने की क्षमता हासिल कर दुनिया की चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में बताया कि महज तीन मिनट में 'मिशन शक्ति' को अंजाम दिया गया और एक लाइव उपग्रह को अंतरिक्ष में ही मार गिराया गया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह कारनामा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण कर भारत ने किसी भी अंतरार्ष्ट्रीय कानून या संधि का उल्लंघन नहीं किया है, बल्कि यह देश के विकास के लिए रक्षात्मक पहल है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के खिलाफ रहा है।
अमेरिका
अमेरिका ने 1959 में पहली बार एंटी सैटेलाइट हथियार का परीक्षण किया था जब सैटेलाइट खुद दुर्लभ और नए थे। इस दौरान अमेरिकी वायुसेना ने बी-47 बमवर्षक विमान से एक्सप्लोरर 6 सैटेलाइट को निशाना बनाया गया। हालांकि इस दौरान मिसाइल में विस्फोट नहीं लगाया गया था इसलिए सैटेलाइट नष्ट नहीं हुई। इस कार्यक्रम को बोल्ड ओरियन नाम दिया गया था।
रूस
रूस ने भी 1960 और 1970 के शुरुआती समय में एंटी सैटेलाइट हथियार का परीक्षण किया था। इस दौरान रूस ने एक ऐसे हथियार का परीक्षण किया जो कक्षा में जाकर दुश्मन सैटेलाइट को निशाना बना कर उन्हें नष्ट कर दिया।
अमेरिका
1985 में अमेरिका ने एफ-15 लड़ाकू विमान से एजीएम-135 मिसाइल दाग कर सोलविंड पी 78-1 सैटेलाइट को नष्ट कर दिया। 1985 के बाद 20 साल तक किसी भी देश ने इस तरह का परीक्षण नहीं किया।
चीन
इसके बाद चीन ने 2007 में एंटी सैटेलाइट हथियार का परीक्षण किया। इस दौरान चीन ने उच्च ध्रुवीय कक्षा में अपने पुराने मौसम सैटेलाइट को नष्ट कर दिया था। इस परीक्षण से कक्षा में इतिहास का सबसे ज्यादा सैटेलाइट कचरा फैला। जिसकी दुनियाभर के देशों ने काफी आलोचना भी की।